क्या सुब्रह्मण्य षष्ठी से मिलेगी सुख-समृद्धि और विजय? जानें पूजा की संपूर्ण विधि

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क्या सुब्रह्मण्य षष्ठी से मिलेगी सुख-समृद्धि और विजय? जानें पूजा की संपूर्ण विधि

सारांश

सुब्रह्मण्य षष्ठी के पर्व पर भगवान कार्तिकेय की पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। जानें इस दिन की पूजा विधि और विशेष महत्व।

Key Takeaways

  • सुब्रह्मण्य षष्ठी का पर्व सुख और समृद्धि का प्रतीक है।
  • भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि को सही तरीके से करना चाहिए।
  • इस दिन व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

नई दिल्ली, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की सुब्रह्मण्य षष्ठी तिथि बुधवार को आ रही है। इस दिन भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की पूजा और व्रत करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार को सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा मकर राशि में होंगे। इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर १२:०८ से १:२७ बजे तक रहेगा।

सुब्रह्मण्य षष्ठी का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है, जिसमें कहा गया है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नामक दैत्य का वध किया था। इस घटना के बाद देवताओं ने इस दिन को उत्सव के रूप में मानाने का कार्य किया। यह पर्व विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है।

जो लोग संतान सुख से वंचित हैं और कुंवारी कन्याएँ हैं, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है और कुंवारी कन्याओं की जल्द शादी होती है।

इस दिन पूजा करने के लिए जातक को विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म, स्नान आदि करना चाहिए। इसके बाद साफ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल की सफाई करें। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें। सबसे पहले भगवान गणेश और नवग्रहों की पूजा करें और व्रत संकल्प लें।

इसके बाद भगवान कार्तिकेय को वस्त्र, इत्र, चंपा के फूल, आभूषण, दीप-धूप और नैवेद्य अर्पित करें। भगवान कार्तिकेय का प्रिय पुष्प चंपा है, इसी कारण इस दिन को स्कंद षष्ठी, कांडा षष्ठी और चंपा षष्ठी भी कहा जाता है। भगवान की आरती और तीन बार परिक्रमा करने के बाद “ऊं स्कंद शिवाय नमः” मंत्र का जाप करें। अंत में आरती का आचमन कर आसन को प्रणाम करें और प्रसाद ग्रहण करें।

Point of View

बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है। इस दिन की पूजा विधि और इसके पीछे की मान्यताएँ समाज में सकारात्मकता और विश्वास को बढ़ावा देती हैं।
NationPress
25/11/2025

Frequently Asked Questions

सुब्रह्मण्य षष्ठी का महत्व क्या है?
सुब्रह्मण्य षष्ठी का महत्व भगवान कार्तिकेय की पूजा से जुड़ा है, जो भक्तों को सुख और समृद्धि प्रदान करती है।
क्या इस दिन व्रत करना आवश्यक है?
हाँ, इस दिन व्रत रखने से विशेष लाभ होता है, खासकर संतान सुख की प्राप्ति के लिए।
सुब्रह्मण्य षष्ठी की पूजा विधि क्या है?
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए।
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