क्या सोने के भाव बढ़ने से उत्तर प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं?

सारांश
Key Takeaways
- सोने के दाम में वृद्धि आर्थिक अनिश्चितता का संकेत है।
- उत्तर प्रदेश में डकैती और चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं।
- सरकार को सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- बैंक लॉकरों की सुरक्षा को भी सुदृढ़ करने की जरूरत है।
- पुलिसकर्मियों की कमी को दूर करने के लिए भर्ती प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए।
लखनऊ, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोने के दाम में वृद्धि को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ महीनों में सोने-चांदी की दुकानों में लगातार डकैती और चोरी की घटनाओं में इजाफा हुआ है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने रविवार को सोने के दाम एक लाख रुपये से ऊपर जाने को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने लिखा कि सोने का भाव '1 लाख' से ऊपर जाना अन्य निवेशों पर अविश्वास और आर्थिक अनिश्चितता का प्रतीक है। यह देश और व्यापार के लिए उचित नहीं है। ऐसी स्थिति में सरकार को कानून-व्यवस्था और पुलिसिंग पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। अन्यथा, सोने की राहजनी, छिनैती, चोरी व लूट जैसे अपराध बढ़ सकते हैं, खासकर जब देश में बेरोजगारी अपने चरम पर है।
अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हाल के महीनों में सोने-चांदी की दुकानों में बढ़ती वारदातों को देखते हुए सुरक्षा की समीक्षा के लिए व्यापारियों संगठनों के साथ नियमित बैठकें आयोजित की जानी चाहिए। रात के समय सर्राफा बाजारों की विशेष पेट्रोलिंग की जानी चाहिए और सीसीटीवी की व्यवस्था की नियमित जांच होनी चाहिए। इसके अलावा, निजी सुरक्षा गार्ड और घरों में काम करने वालों की नियुक्तियों में उनकी व्यक्तिगत पृष्ठभूमि की गहन जांच होनी चाहिए, ताकि अपराधी प्रवृत्ति के लोग सुरक्षा व्यवस्था में सेंध न लगा सकें।
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि हाल के कुछ वर्षों में बैंकों के लॉकरों से भी आम जनता का सोना चोरी हुआ है, इसलिए बैंकों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त व्यवस्था की जानी चाहिए। आम जनता से भी सजग रहने की अपील की जानी चाहिए। शादी समारोह स्थलों, होटलों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड आदि स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था को और बढ़ाने की जरूरत है। पुलिसकर्मियों की कमी को दूर करने के लिए नियमित भर्ती जैसे दूरगामी कदम उठाए जाने चाहिए, क्योंकि भाजपा सरकार में यदि 3-4 वर्षों में भर्ती प्रक्रिया पूरी हो गई, तो तब तक 50-60 हजार पुलिसकर्मी रिटायर हो चुके होंगे।