क्या सुप्रीम कोर्ट ने तकिया मस्जिद की जमीन अधिग्रहित करने के खिलाफ याचिका खारिज कर दी?

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने तकिया मस्जिद की जमीन अधिग्रहित करने के खिलाफ याचिका खारिज कर दी?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन में महाकाल मंदिर के विस्तार के लिए तकिया मस्जिद की जमीन अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता केवल एक उपासक है और उसके पास अधिग्रहण प्रक्रिया को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। इस निर्णय ने मंदिर परिसर के विस्तार में कोई बाधा नहीं छोड़ी।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की।
  • याचिकाकर्ता केवल उपासक है।
  • कोई वैध अधिकार नहीं।
  • महाकाल मंदिर का विस्तार अब संभव।
  • वक्फ बोर्ड की अनुमति अनिवार्य।

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर के विस्तार हेतु तकिया मस्जिद की जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता केवल एक उपासक है, न कि जमीन का मालिक या रिकॉर्डेड टाइटल होल्डर, इसलिये उसे अधिग्रहण प्रक्रिया को चुनौती देने का कोई अधिकार (लोकस स्टैंडी) नहीं है।

याचिकाकर्ता का यह तर्क था कि तकिया मस्जिद की जमीन वक्फ बोर्ड की है और इस संबंध में वक्फ बोर्ड की अनुमति अनिवार्य है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि व्यक्तिगत उपासक होने के नाते याचिकाकर्ता के पास जमीन पर कोई वैध अधिकार नहीं है।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि याचिका में सीधे तौर पर अधिग्रहण के आदेशों को चुनौती नहीं दी गई है। याचिकाकर्ता केवल मुआवजे के विषय पर आपत्ति जता रहा है। ऐसे मामलों में कानून के तहत वैकल्पिक वैधानिक उपाय मौजूद हैं और याचिकाकर्ता सीधे अधिग्रहण को अवैध बताने का दावा नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक कोई व्यक्ति जमीन का स्वामी या रिकॉर्डेड टाइटल होल्डर नहीं है, वह अधिग्रहण के खिलाफ मुकदमा नहीं कर सकता। इस फैसले के बाद महाकाल मंदिर परिसर के विस्तार में अब कोई कानूनी रुकावट नहीं रह गई है।

याचिका में यह भी दावा किया गया था कि जमीन 1985 से मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड की वक्फ संपत्ति है और वक्फ अधिनियम की धारा 91 के तहत वक्फ बोर्ड की अनुमति के बिना इसे अधिग्रहित नहीं किया जा सकता।

यह मामला महाकाल लोक फेज-II परियोजना से जुड़ा हुआ है। 11 जनवरी 2025 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी इसी परियोजना से जुड़े भूमि अधिग्रहण को बरकरार रखा था और कई याचिकाएं खारिज कर दी थीं। हाईकोर्ट ने भी यही कहा था कि याचिकाकर्ता न तो जमीन के मालिक हैं और न ही टाइटल होल्डर, इसलिए वे केवल मुआवजे के संदर्भ में ही कानून के तहत पूछताछ कर सकते हैं, अधिग्रहण को अवैध साबित नहीं कर सकते।

Point of View

बल्कि धार्मिक स्थलों के विकास में भी सहायक सिद्ध होगा।
NationPress
18/12/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने तकिया मस्जिद की जमीन अधिग्रहण के खिलाफ याचिका क्यों खारिज की?
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता केवल एक उपासक है और उसके पास अधिग्रहण प्रक्रिया को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है।
क्या याचिकाकर्ता के पास जमीन पर कोई वैध अधिकार था?
नहीं, याचिकाकर्ता का कोई वैध अधिकार नहीं था क्योंकि वह जमीन का स्वामी या रिकॉर्डेड टाइटल होल्डर नहीं था।
इस फैसले का महाकाल मंदिर के विस्तार पर क्या असर पड़ेगा?
इस फैसले के बाद महाकाल मंदिर परिसर के विस्तार में अब कोई कानूनी रुकावट नहीं रह गई है।
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