क्या हमें मनुवादी ताकतों के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़नी चाहिए? : उदित राज

सारांश
Key Takeaways
- संविधान की रक्षा करना आवश्यक है।
- आरक्षण की सीमाओं को बढ़ाना चाहिए।
- जाति जनगणना को ईमानदारी से लागू करना होगा।
- सभी को जिम्मेदारी लेनी होगी।
- मनुवादी विचारधारा के खिलाफ संगठित होना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के प्रमुख नेता उदित राज ने रविवार को नई दिल्ली में 'डोमा परिसंघ' के तहत दलित, ओबीसी और मुस्लिम संगठनों का एक सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन में देशभर से लोग उपस्थित हुए।
एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में मीडिया से बातचीत करते हुए उदित राज ने कहा कि दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक संगठनों को 'डोमा' के माध्यम से, जो कि एक गैर-राजनीतिक संगठन है, संविधान की रक्षा की लड़ाई, आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाने की लड़ाई, जाति जनगणना को ईमानदारी से लागू करने, निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने, और बाबासाहेब अंबेडकर, फूले और साहू की विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है। हमारे सम्मेलन का यही मुख्य उद्देश्य था।
उन्होंने कहा कि जो लोग इन चार समुदायों पर अत्याचार कर रहे हैं, उन्होंने 80-20 का जो सिद्धांत दिया है, उसे 85-15 करना है, जिसमें 85 प्रतिशत हम हैं। संविधान हमारे पक्ष में है। इसलिए हम जय संविधान के नारे लगाते हैं और चाहते हैं कि देश संविधान के अनुसार चले। पुरानी रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार देश नहीं चल सकता।
उन्होंने सम्मेलन में आए मुसलमानों और ईसाइयों का धन्यवाद किया और कहा कि केवल भाषण और विचारों से कोई काम नहीं चलेगा। सभी को जिम्मेदारी लेनी होगी। दिल्ली में आंदोलन का प्रभाव पड़ता है, लेकिन दिसंबर से देशव्यापी आंदोलन शुरू होगा। हमें मनुवादी विचारधारा के खिलाफ संगठन को मजबूती से खड़ा करना होगा। ये लोग हमें बांटने की राजनीति करते हैं। इससे हमें बचना है।
उदित राज ने सम्मेलन में उपस्थित लोगों से कहा कि भाजपा सरकार में दलितों पर अत्याचार बढ़े हैं। हमें एकजुट होना है और कांग्रेस को मजबूत करना है।