क्या वंदे मातरम को बंगाल चुनाव से जोड़ना उचित है? यह राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्य का स्मरण है: अमित शाह
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम ने आज़ादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- यह गीत राष्ट्रीय एकता और भक्ति का प्रतीक है।
- इसकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को राज्यसभा में वंदे मातरम पर विशेष चर्चा की गई। गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर बोलते हुए कहा कि वंदे मातरम सिर्फ एक गीत नहीं है, बल्कि यह देश की आज़ादी, राष्ट्रीय चेतना और मां भारती के प्रति समर्पण का एक शक्तिशाली मंत्र है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय को किसी राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं आंका जाना चाहिए, क्योंकि यह भारत के गौरव और राष्ट्रभक्ति से संबंधित है।
अमित शाह ने बताया कि वंदे मातरम ने स्वतंत्रता संग्राम में ऐसे जोश भरा कि यह नारा पूरे देश में स्वतंत्रता का उद्घोष बन गया। कुछ लोग इस चर्चा पर सवाल उठा रहे हैं। जिन्हें समझ नहीं आ रहा कि वंदे मातरम पर चर्चा क्यों हो रही है, उन्हें अपनी समझ पर नए सिरे से विचार करना चाहिए।
गृह मंत्री ने कहा कि यह गीत आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान था और जब 2047 में भारत एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर होगा, तब भी वंदे मातरम की भावना उतनी ही प्रबल रहेगी।
सदन में बताया गया कि 7 नवंबर 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की अमर रचना वंदे मातरम पहली बार सार्वजनिक हुई थी। इसे शुरू में एक बेहतरीन साहित्यिक रचना माना गया था, लेकिन धीरे-धीरे यह देशभक्ति का प्रतीक बन गया जो आजादी के आंदोलन की पहचान बन गया।
बंकिमचंद्र की इस रचना ने उस समय देश को चेतना और साहस प्रदान किया। शाह ने कहा, "वंदे मातरम ने देश को जागरूक किया, युवाओं को प्रेरित किया और शहीदों के लिए यह अंतिम मंत्र बना, जिसने उन्हें अगला जन्म भी इसी भारत भूमि पर लेने की प्रेरणा दी।"
अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम भारत के पुनर्जागरण का मंत्र है। यह गीत मां भारती की वंदना है, भक्ति है और राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्य का स्मरण कराता है।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वंदे मातरम को बंगाल चुनाव से जोड़कर देखना गलत है। यह गीत सिर्फ बंगाल नहीं, बल्कि पूरे देश की धड़कन है और दुनियाभर में भारत की पहचान है।
इससे पहले, सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा था कि यह केवल एक गीत या राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम और मातृभूमि की आज़ादी के लिए एक पवित्र संघर्ष का प्रतीक था।