क्या योगी सरकार की एमसीएडी योजना से किसानों को पारंपरिक सिंचाई पद्धति से छुटकारा मिलेगा?

सारांश
Key Takeaways
- हर खेत तक पानी पहुँचाने का लक्ष्य
- आधुनिक सिंचाई तकनीक का उपयोग
- जल की बचत और ऊर्जा की खपत में कमी
- किसानों की आमदनी में वृद्धि
- स्थानीय उद्यमों को लाभ
लखनऊ, २४ जून (राष्ट्र प्रेस)। योगी सरकार प्रदेश के किसानों को सिंचाई की आधुनिक सुविधा प्रदान करने की तैयारी में है। इससे किसानों को अब बारिश या पारंपरिक नहरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर डबल इंजन सरकार की एमसीएडी योजना (मॉडरेशन ऑफ कमांड एरिया डवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट प्रोग्राम) का लाभ किसानों को देने का खाका तैयार किया गया है।
इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने १,६०० करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है। इसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा। इस प्रक्रिया में आईआईटी कानपुर की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। यह योजना कमांड एरिया डेवलपमेंट और जल प्रबंधन में एक गेम चेंजर साबित होगी। इससे खेतों तक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी और किसानों की आमदनी में भी वृद्धि होगी।
सिंचाई एवं जल संसाधन सचिव जीएस नवीन ने कहा कि सीएम योगी की मंशा के अनुसार हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए योजना का खाका तैयार कर लिया गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य हर खेत तक पानी पहुंचाना और पारंपरिक सिंचाई पद्धतियों की जगह प्रेशराइज्ड पाइप इरिगेशन नेटवर्क (पीपीआईएन) तकनीक का उपयोग करना है, जिससे 90 प्रतिशत तक जल उपयोग दक्षता हासिल की जा सकेगी। यह जल की भारी बचत, उच्च उत्पादन और ऊर्जा की खपत में कमी सुनिश्चित करेगा।
यह योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत लागू की जा रही है। इसमें जल शक्ति मंत्रालय की दो इकाइयों सीएडब्ल्यूएम (कमांड एरिया डवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट) और एआईबीपी (एक्सीलरेटेड इरिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम) को एक साथ लाया गया है। पहले चरण को मार्च २०२६ तक पूरा किया जाएगा, उसके बाद १ अप्रैल २०२६ से दूसरे चरण का कार्य शुरू होगा।
इस योजना के तहत ५० से ५,००० हेक्टेयर तक के क्लस्टर बनाए जाएंगे। हर क्लस्टर में वॉटर यूजर सोसायटी (डब्ल्यूयूएस) का गठन किया जाएगा, जिससे किसान सिंचाई प्रबंधन में भागीदारी करेंगे। यह योजना ना केवल जल की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी, बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में भी किसान अधिक शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में, जहां सिंचाई के लिए भूजल पर निर्भरता है, यह योजना जल की बचत, पंपिंग लागत और बिजली की खपत में कमी लाएगी।
पहले चरण में १५० मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बचाने की योजना है। राज्य में इस योजना के कार्यान्वयन से हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा। किसानों को पाइप, सेंसर, पंप, फिल्टर जैसी सिंचाई तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे उनकी तकनीकी दक्षता में वृद्धि होगी। योगी सरकार पहले से ही कृषि में विविधता और बाजार-लिंक्ड खेती को बढ़ावा दे रही है। एमसीएडी योजना के तहत 'एक क्लस्टर, एक फसल' मॉडल को अपनाया जाएगा, जिससे फसलों की गुणवत्ता और बाजार मूल्य में वृद्धि होगी।
इस योजना की निगरानी तीन स्तरों पर की जाएगी: राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर। जल शक्ति मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में केंद्रीय समिति बनेगी। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव और जिला स्तर पर जिलाधिकारी योजना के कार्यों की निगरानी करेंगे। इसके साथ ही आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), एससीएडीए (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन), जीआईएस (ग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम) और सैटेलाइट डेटा जैसी तकनीकी उपकरणों के द्वारा भी निगरानी की जाएगी। सीएम योगी के इस कदम से न केवल जल की बर्बादी रोकी जाएगी, बल्कि किसानों की उत्पादकता, आमदनी और आत्मनिर्भरता में भी वृद्धि होगी।