क्या बिहार चुनाव में औराई की सियासी जंग में बाढ़ और विकास प्रमुख मुद्दे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- औराई विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक समीकरण हर चुनाव में बदलते हैं।
- बाढ़ और विकास इस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे हैं।
- यहां के मतदाता समय-समय पर मतदान करते हैं।
- यादव और मुस्लिम मतदाता पारंपरिक रूप से राजद के पक्ष में हैं।
- बाढ़ का समाधान और विकास की चुनौती महत्वपूर्ण है।
पटना, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की औराई विधानसभा सीट उन क्षेत्रों में शामिल है, जहां हर चुनाव में समीकरण बदलता रहता है। यह विधानसभा एक सामान्य वर्ग की सीट है, जिसमें औराई और कटरा प्रखंड की १६ ग्राम पंचायतें शामिल हैं।
यह क्षेत्र मुजफ्फरपुर शहर से करीब ३० किलोमीटर उत्तर में स्थित है और जिले की उत्तरी सीमा तक फैला हुआ है। इसका भूगोल पूर्वी चंपारण की सीमा तक फैला है। औराई का अधिकांश हिस्सा गंडक और बागमती नदियों की बाढ़ प्रभावित घाटियों में आता है, जहां हर साल बाढ़ ग्रामीण जीवन और खेती को प्रभावित करती है। उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी क्षेत्र को कृषि के लिए उपयुक्त बनाती है। यही कारण है कि यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से धान, मक्का और सब्जियों की खेती पर निर्भर करती है। स्थानीय लोगों की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत पशुपालन भी है।
भौगोलिक रूप से औराई का जुड़ाव मुजफ्फरपुर से सड़क मार्ग द्वारा है। आसपास के प्रमुख शहरों में सीतामढ़ी (४५ किमी), दरभंगा (६५ किमी), समस्तीपुर (७० किमी) और मोतिहारी (७५ किमी) शामिल हैं। राजधानी पटना यहां से लगभग ९५ किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
औराई विधानसभा सीट का गठन १९६७ में हुआ और तब से अब तक यहां १५ बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें २००९ का उपचुनाव भी शामिल है। इस सीट पर अब तक जनता पार्टी और जदयू ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस, जनता दल, भाजपा और राजद ने दो-दो बार जीत हासिल की है। इसके अलावा, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने भी एक बार सफलता प्राप्त की है।
इस सीट के चुनावी नतीजे यह स्पष्ट करते हैं कि औराई के मतदाताओं ने कभी किसी एक दल के प्रति स्थायी निष्ठा नहीं दिखाई, बल्कि समय-समय पर बदलते समीकरणों के आधार पर मतदान किया है।
साल २००९ में इस सीट पर हुए उपचुनाव के बाद से भाजपा के राम सूरत राय और राजद के सुरेंद्र कुमार यादव के बीच सीधी टक्कर रही है। २००९ में उपचुनाव में सुरेंद्र यादव ने जीत दर्ज की थी, लेकिन २०१० के विधानसभा चुनाव में राम सूरत राय ने उन्हें हराकर सीट अपने नाम कर ली। २०१५ में राजद ने इस सीट को अपने पक्ष में कर लिया। हालांकि, २०२० के चुनाव में राम सूरत राय ने वापसी की और फिर से जीत दर्ज की। पिछले एक दशक के चुनावी नतीजे से हम यह कह सकते हैं कि औराई की राजनीति महज दो चेहरे के इर्द-गिर्द घूमती रही है।
राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो इस क्षेत्र में यादव, ब्राह्मण, भूमिहार, मुसहर और कुशवाहा समुदायों की निर्णायक भूमिका है। यादव और मुस्लिम मतदाता पारंपरिक रूप से राजद के पक्ष में रहते हैं, जबकि भूमिहार और ब्राह्मण वोटरों का झुकाव भाजपा की ओर रहता है। साथ ही, दलित और पिछड़े वर्गों में जदयू की पकड़ है।
विकास के मोर्चे पर यह विधानसभा क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। हर साल गंडक और बागमती नदियों की बाढ़ ग्रामीण इलाकों को तबाह करती है, जिससे खेती और आवागमन दोनों प्रभावित होते हैं। सिंचाई व्यवस्था कमजोर, सड़कें खराब और स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं। युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा के अवसरों की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है। जनता की सबसे बड़ी मांग स्थायी बाढ़ समाधान, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और गांवों तक सड़क संपर्क का विस्तार है।
२०२४ के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या ५,३९,६८८ है, जिसमें २,८३,७४५ पुरुष और २,५५,९४३ महिलाएं शामिल हैं। वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या ३,२०,३५७ है। इसमें १,७०,३४२ पुरुष, १,५०,००६ महिलाएं और ९ थर्ड जेंडर वोटर शामिल हैं। ग्रामीण स्वरूप के कारण यहां की राजनीति खेती, बाढ़ और जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती है।