क्या बिहार विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग का बड़ा कदम घर-घर जाकर मतदाता सूची की जांच है?

सारांश
Key Takeaways
- मतदाता सूची की जांच घर-घर जाकर की जाएगी।
- फर्जी नामों को हटाने का प्रयास किया जाएगा।
- राजनीतिक दलों को आपत्ति दर्ज करने का अवसर मिलेगा।
- संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार प्रक्रिया होगी।
- मतदाता सूची को सटीक और स्पष्ट बनाने का लक्ष्य है।
नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के संदर्भ में, चुनाव आयोग (ईसीआई) मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान घर-घर जाकर एक व्यापक सत्यापन अभियान शुरू करने पर विचार कर रहा है। यह कदम मतदाता सूचियों की स्पष्टता सुनिश्चित करने और फर्जी या अपात्र नामों को हटाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
चुनाव आयोग को लंबे समय से विभिन्न नागरिक संगठनों, राजनीतिक दलों और एजेंसियों से मतदाता सूची में नामों के अनुचित जोड़-घटाव पर चिंता जताई जाती रही है। आयोग ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि केवल वैध और पात्र नागरिकों को ही मतदाता सूची में शामिल करना उसकी प्राथमिकता है।
भारत के संविधान का अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 इस संबंध में मतदाता पंजीकरण की पात्रता और अपात्रता को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हैं।
चुनाव आयोग के अनुसार, मतदाता सूची के निरंतर अद्यतन की आवश्यकता कई कारणों से होती है। विवाह, नौकरी, शिक्षा या पारिवारिक कारणों से लोग लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होते हैं। वर्ष 2024 में ही 46.26 लाख लोगों ने अपने पते में बदलाव किया, 2.32 करोड़ ने सुधार के लिए आवेदन दिया और 33.16 लाख ने पहचान पत्र बदलने का अनुरोध किया। मृतकों के नाम अक्सर परिवारजन द्वारा हटवाए नहीं जाते, जिससे सूची में त्रुटियां बनी रहती हैं। वहीं, 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नए मतदाताओं का नाम जोड़ना और नाम, फोटो, पता आदि में सुधार करना भी शामिल है।
निर्वाचन आयोग ने हाल ही में प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की सीमा 1,500 से घटाकर 1,200 कर दी है। साथ ही प्रयास है कि कोई भी मतदाता 2 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय न करे। विदेशी अवैध प्रवासियों की पहचान और नामों की छंटनी करना भी एक बड़ा कार्य होता है।
चुनाव आयोग ने बताया कि पूरी प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों को दावे, आपत्तियां और अपील दाखिल करने का पूरा अवसर दिया जाता है। फिर भी कुछ दल और समूह आरोप लगाते हैं कि मतदाता सूची में जानबूझकर हेराफेरी की जाती है।
ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग एक बार फिर वर्ष 2004 के बाद घर-घर जाकर की जाने वाली गहन जांच प्रक्रिया को अपनाने की योजना बना रहा है। यह कवायद बिहार विधानसभा चुनाव से पहले की जाएगी, जिससे मतदाता सूची को एकदम स्पष्ट और सटीक बनाया जा सके।