क्या बिहार की 80 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं सैनिटरी पैड के बजाय कपड़े का उपयोग करने को मजबूर हैं? : अलका लांबा

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क्या बिहार की 80 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं सैनिटरी पैड के बजाय कपड़े का उपयोग करने को मजबूर हैं? : अलका लांबा

सारांश

क्या बिहार की 80 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं आज भी सैनिटरी पैड का उपयोग नहीं कर पा रही हैं? अलका लांबा ने इस मुद्दे पर गंभीर बातें की हैं। साथ ही, उन्होंने महिलाओं के लिए प्रियदर्शिनी उड़ान परियोजना के अंतर्गत उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया है।

Key Takeaways

  • बिहार की 80 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं सैनिटरी पैड के बजाय कपड़े का उपयोग कर रही हैं।
  • महिला कांग्रेस ने प्रियदर्शिनी उड़ान परियोजना की शुरुआत की है।
  • सैनिटरी पैड की कमी के कारण महिलाओं का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
  • सरकार ने स्कूलों में सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने का वादा किया था, जो पूरा नहीं हुआ।
  • महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है।

नई दिल्ली, 18 जून (राष्ट्र प्रेस)। प्रियदर्शिनी उड़ान परियोजना के तहत, अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा ने बताया कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान महिलाओं का न्याय एक महत्वपूर्ण मुद्दा था। हमने आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक न्याय पर गहन चर्चा की। उन्होंने उल्लेख किया कि बिहार की 80 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं आज भी सैनिटरी पैड के बजाय कपड़े का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं।

अलका लांबा ने कहा, "हमारे द्वारा बिहार में किए गए एक सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हुआ कि इस आधुनिक युग में भी, 80 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं सैनिटरी पैड का उपयोग नहीं कर पातीं। उनकी सैनिटरी पैड तक पहुँच नहीं है, जिसके पीछे बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, और गरीबी जैसे कारण हैं। इसलिए हमने यह परियोजना शुरू करने का निर्णय लिया।"

उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि पटना उच्च न्यायालय ने सरकार को 40,000 स्कूलों में सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, लेकिन सरकार ने केवल 350 स्कूलों को ही कवर करने का जवाब दिया। जब हमने उन स्कूलों का दौरा किया, तो हमने देखा कि वहां भी सैनिटरी पैड वितरित नहीं किए जा रहे थे।

अलका लांबा ने बिहार सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने सैनिटरी पैड के लिए प्रति वर्ष 300 रुपये आवंटित करने का दावा किया है, लेकिन लड़कियों को वह भी नहीं मिल रहा है। इस समस्या का समाधान करने के लिए महिला कांग्रेस ने 'प्रियदर्शिनी उड़ान परियोजना' की शुरुआत की है। इस पहल के तहत, दिल्ली में एक और बिहार में दो सैनिटरी पैड मशीनें स्थापित की गई हैं।

उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के जन्मदिन के अवसर पर महिला कांग्रेस ने बिहार में 25,000 जरूरतमंद महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी पैड वितरित करने का निर्णय लिया है।

अलका लांबा ने इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के दावे पर भी ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को ट्रंप के ट्वीट का जवाब देना चाहिए कि "आप झूठ बोल रहे हैं, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।" हम अपनी सेना की प्रशंसा करते हैं, जो पाकिस्तान और पीओके में जाकर आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने में सफल रही।

Point of View

यह स्पष्ट है कि महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके अधिकारों पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है। बिहार में ग्रामीण महिलाओं की समस्याएं समाज की समृद्धि के लिए एक चुनौती हैं। हमें इन मुद्दों को सुलझाने के लिए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।
NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

बिहार की ग्रामीण महिलाएं सैनिटरी पैड का उपयोग क्यों नहीं कर पा रही हैं?
बिहार की 80 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं सैनिटरी पैड का उपयोग नहीं कर पातीं क्योंकि उनके पास इसकी पहुँच नहीं है, और इसके पीछे बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और गरीबी जैसे कारण हैं।
प्रियदर्शिनी उड़ान परियोजना क्या है?
प्रियदर्शिनी उड़ान परियोजना महिला कांग्रेस द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसके तहत सैनिटरी पैड मशीनें स्थापित की जा रही हैं ताकि महिलाओं को सैनिटरी पैड उपलब्ध कराया जा सके।