क्या सीएम योगी का यह फैसला पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में बदलाव लाएगा?
सारांश
Key Takeaways
- मुख्य अभियंता को 10 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार मिलेगा।
- अधीक्षण अभियंता को 5 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार दिया जाएगा।
- सहायक अभियंता को भी टेंडर स्वीकृति के अधिकार बढ़ाए जाएंगे।
- सेवा नियमावली में संशोधन के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाई जाएगी।
- यह निर्णय राज्य की विकास परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
लखनऊ, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पांच गुना तक की वृद्धि करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस परिवर्तन से विभागीय अधिकारियों को निर्णय लेने में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी। उच्च स्तर पर अनुमोदन की आवश्यकता कम होने से निविदा, अनुबंध निर्माण और कार्य प्रारंभ की प्रक्रिया में गति आएगी। यह सुधार वित्तीय अनुशासन को बनाए रखते हुए प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने में मदद करेगा। शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग की बैठक में यह बताया गया कि विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकार वर्ष 1995 में निर्धारित किए गए थे और इस दौरान निर्माण कार्यों की लागत में पांच गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के अनुसार, वर्ष 1995 की तुलना में वर्ष 2025 तक यह लगभग 5.52 गुना बढ़ने की संभावना है।
सीएम योगी ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण आवश्यक है, ताकि निर्णय प्रक्रिया में तेजी लायी जा सके और परियोजनाओं का क्रियान्वयन समयबद्ध तरीके से किया जा सके। अपर मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग ने मुख्यमंत्री को सिविल, विद्युत और यांत्रिक कार्यों के लिए वित्तीय अधिकारों की वर्तमान व्यवस्था की जानकारी दी। इस विमर्श के बाद निर्णय लिया गया कि सिविल कार्यों के लिए अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों की सीमा अधिकतम पांच गुना तक तथा विद्युत और यांत्रिक कार्यों के लिए कम से कम दो गुना तक बढ़ाई जाएगी।
मुख्यमंत्री के निर्णय के अनुसार, मुख्य अभियंता को अब २ करोड़ के स्थान पर १० करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार होगा। अधीक्षण अभियंता को १ करोड़ से बढ़ाकर ५ करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार दिया जाएगा। अधिशासी अभियंता के वित्तीय अधिकार ४० लाख से बढ़ाकर २ करोड़ किए जाएंगे। सहायक अभियंता को भी सीमित दायरे में टेंडर स्वीकृति और छोटे कार्यों की अनुमति देने के अधिकार बढ़ाए जाएंगे।
यह पुनर्निर्धारण तीन दशकों के बाद हो रहा है। बैठक में उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (लोक निर्माण विभाग) (उच्चतर) नियमावली, १९९० में संशोधन के माध्यम से विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग की सेवा संरचना, पदोन्नति व्यवस्था और वेतनमान के पुनर्गठन से संबंधित प्रस्तावों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। बैठक में कहा गया कि नियमावली में यह संशोधन विभागीय अभियंताओं की सेवा संरचना को वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से किया गया है। संशोधित नियमावली में विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का नया पद सम्मिलित किया गया है। इसके साथ ही मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या में वृद्धि की गई है।
नवसृजित पदों को नियमावली में समाहित करते हुए उनके पदोन्नति स्रोत, प्रक्रिया और वेतनमान को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जिससे सेवा संरचना अधिक पारदर्शी और संगठित हो सके। बैठक में यह भी बताया गया कि मुख्य अभियंता (स्तर-एक) के पद पर पदोन्नति अब मुख्य अभियंता (स्तर-दो) से वरिष्ठता के आधार पर की जाएगी। इसी प्रकार मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों पर भी पदोन्नति की प्रक्रिया को नियमावली में स्पष्ट किया गया है।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार अधिशासी अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता (स्तर-एक) तक के पदों के वेतनमान और मैट्रिक्स पे लेवल भी निर्धारित किए गए हैं। चयन समिति की संरचना को अद्यतन किया गया है ताकि पदोन्नति और नियुक्ति की कार्यवाही अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ की जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग राज्य की विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में एक प्रमुख विभाग है, इसलिए अभियंताओं की सेवा नियमावली को समयानुकूल, व्यावहारिक और पारदर्शी बनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति व्यवस्था से विभाग की कार्यकुशलता, तकनीकी गुणवत्ता और सेवा भावना को नई दिशा मिलेगी।