क्या कर्लिंग बर्फ पर खेला जाने वाला खेल है, जिसने विंटर ओलंपिक में पहचान बनाई?
सारांश
Key Takeaways
- कर्लिंग को 'बर्फ का शतरंज' कहा जाता है।
- यह खेल 16वीं सदी में स्कॉटलैंड से शुरू हुआ।
- भारत ने हाल ही में कर्लिंग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रगति की है।
- इसमें 10 एंड्स होते हैं, जिसमें हर टीम 8 स्टोन फेंकती है।
- कर्लिंग का रॉक ग्रेनाइट से बना होता है।
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बर्फ पर खेले जाने वाले रणनीतिक खेल कर्लिंग को 'बर्फ का शतरंज' कहा जाता है। इस खेल में एक खिलाड़ी ग्रेनाइट के भारी पत्थर (कर्लिंग रॉक) को लक्ष्य की दिशा में धकेलता है, जबकि उसकी टीम का साथी झाड़ू के जरिए कर्लिंग रॉक की दिशा और गति को नियंत्रित करता है। यह खेल सटीकता, तालमेल और रणनीति पर आधारित है।
इस खेल की उत्पत्ति 16वीं सदी में स्कॉटलैंड से हुई, जहां जमी हुई झीलों और तालाबों पर पत्थर फेंककर इसे खेला जाता था। यह खेल स्थानीय लोगों के लिए मनोरंजन का साधन था।
सन 1540 से इस खेल का उल्लेख ऐतिहासिक दस्तावेजों में मिलता है। 16वीं सदी के फ्लेमिश कलाकार पीटर ब्रूगल ने अपनी पेंटिंग में जमे हुए तालाब पर पत्थरों को फिसलते हुए दर्शाया है।
इस खेल की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ी, और 1716 में पहला कर्लिंग क्लब स्थापित किया गया। 1838 में खेल को रेगुलेट करने के लिए 'ग्रैंड कैलेडोनियन कर्लिंग क्लब' की स्थापना की गई। 1843 में महारानी विक्टोरिया ने इसका नाम बदलकर 'रॉयल कैलेडोनियन कर्लिंग क्लब' रख दिया। स्कॉटलैंड के निवासी इस खेल को कनाडा ले गए, जहां इसे अपार लोकप्रियता मिली।
कर्लिंग को पहली बार 1924 के शैमॉनिक्स विंटर ओलंपिक में मेडल गेम के रूप में शामिल किया गया। उस समय यह केवल पुरुष इवेंट था। इसके बाद 1932, 1988 और 1992 के विंटर ओलंपिक में इसे प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया गया। 1998 के ओलंपिक में इसकी आधिकारिक वापसी हुई, जिसमें महिला और पुरुषों के इवेंट शामिल थे।
कर्लिंग के खेल में उपयोग होने वाला रॉक विशेष ग्रेनाइट से बना होता है। यह स्कॉटलैंड के 'ऐल्सा क्रेग' द्वीप से निकले दुर्लभ ग्रेनाइट से निर्मित होता है। माना जाता है कि यह द्वीप लाखों वर्ष पूर्व ज्वालामुखी विस्फोटों से बना है।
इस कर्लिंग स्टोन का वजन लगभग 19.1 किलोग्राम होता है, जिसकी चौड़ाई 278 मिलीमीटर और ऊंचाई 136 मिलीमीटर होती है।
खिलाड़ी इस खेल के लिए विशेष जूते पहनते हैं, ताकि बर्फ पर फिसलने से बच सकें। इस खेल में 10 राउंड होते हैं, जिन्हें 'एंड्स' कहा जाता है। प्रत्येक टीम सभी एंड पर 8 स्टोन फेंकती है। टीम बर्फ पर बने गोलाकार निशान के पास एक या अधिक स्टोन फेंक सकती है, जिसे 'हाउस' कहा जाता है।
खिलाड़ी एक प्रारंभिक ब्लॉक से पत्थर को धकेलता है, जिसे 'हॉग लाइन' से पहले छोड़ना होता है। ऐसा न करने पर उसे फाउल माना जाएगा। पत्थर फेंकने के समय उसे कर्ल किया जाता है। पत्थर खिलाड़ी के हाथ से छूटने के बाद, टीम के सदस्य 'टी-लाइन' से पहले तक झाड़ू की मदद से बर्फ को साफ करते हैं। इस स्वीपिंग से पत्थर की दूरी बढ़ती है। केवल वही स्टोन अंक प्राप्त कर सकता है, जो 'हाउस' के अंदर या किनारे को छूता है और विरोधी टीम के निकटतम स्टोन से बेहतर स्थिति में होता है।
प्रत्येक एंड के लिए एक या अधिक अंक दिए जाते हैं, और हर एंड के अंत में सबसे अधिक अंक वाली टीम विजेता होती है। अगर मुकाबला बराबरी पर समाप्त होता है, तो विजेता का निर्धारण निर्णायक एंड से होता है। मिश्रित युगल में 8 एंड होते हैं, जिसमें प्रत्येक टीम प्रति एंड से 5 स्टोन फेंक सकती है।
विश्व कर्लिंग महासंघ ने इस खेल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और अब यह खेल यूरोप, कनाडा, अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया सहित कई देशों में खेला जाता है। ओलंपिक में इस खेल में कनाडा और स्वीडन का दबदबा देखने को मिला है।
भारत इस खेल में एक उभरता हुआ देश है, जिसने हाल के वर्षों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रगति दिखाई है। भारत ने पैम कॉन्टिनेंटल कर्लिंग चैंपियनशिप 2022 के बी डिवीजन में दूसरा स्थान हासिल किया। इसके बाद विश्व मिश्रित कर्लिंग चैंपियनशिप में नाइजीरिया और प्यूर्टो रिको को हराया। पैम कॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप 2025 में ब्राजील के खिलाफ 10-0 से जीत दर्ज की। आशा है कि इस प्रकार के प्रभावशाली प्रदर्शन के साथ भारत एक दिन विंटर ओलंपिक में इस खेल में भी अपनी पहचान बनाएगा।