क्या ईरान पर अमेरिकी हमले ने वार्ता की नई संभावनाएं खोलीं?

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क्या ईरान पर अमेरिकी हमले ने वार्ता की नई संभावनाएं खोलीं?

सारांश

ईरान पर अमेरिका के हमले को इजरायल के राजदूत ने सराहा है। उन्होंने कहा कि यह कदम ईरान को कूटनीतिक वार्ता में लौटने का अवसर प्रदान करता है। जानिए इस साक्षात्कार में क्या कहा गया है और इससे क्षेत्र में स्थिरता की संभावना कैसे बन सकती है।

Key Takeaways

  • ईरान को वार्ता की मेज पर लौटने का एक नया अवसर मिला है।
  • इजरायल और अमेरिका के हमले ने परमाणु कार्यक्रम को कमजोर किया है।
  • ईरान को अपने पास मौजूद यूरेनियम को समाप्त करना चाहिए।
  • इजरायल का लक्ष्य केवल अस्तित्व की रक्षा करना है।
  • क्षेत्र में स्थिरता के लिए कूटनीति आवश्यक है।

नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने ईरान पर अमेरिका के हमलों की सराहना की है। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि यह कदम ईरान को ईमानदारी से कूटनीतिक वार्ता की मेज पर लौटने का एक नया अवसर प्रदान करता है।

ईरान के इस दावे पर कि ‘ठिकानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा’, राजदूत अजार ने कहा, “ईरान इन हमलों के प्रभाव को कम करके आंकने की कोशिश कर रहा है, जबकि सच यह है कि अमेरिकी और इजरायली हमले बिल्कुल सटीक और प्रभावी रहे हैं। इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कई वर्षों पीछे धकेल दिया है।”

उन्होंने आगे कहा कि अगर ईरान ने संवर्धित यूरेनियम पहले हटा भी लिया था, तो भी संवर्धन की सुविधाएं और कन्वर्जन साइटें नष्ट हो चुकी हैं। उन्होंने सुझाव दिया, “ईरान को अपने पास मौजूद यूरेनियम को समाप्त करना चाहिए और उसे देश से बाहर भेज देना चाहिए।”

राजदूत अजार ने कहा कि उन्हें वर्तमान में इजरायल या अमेरिका के भीतर किसी सैन्य अभियान की योजना की जानकारी नहीं है। हालाँकि, यह स्पष्ट है कि ईरान को एक सख्त संदेश दिया गया है। पाकिस्तान की भूमिका पर उन्होंने कहा, “फिलहाल मुझे पाकिस्तान द्वारा ईरान को परमाणु सहायता देने की कोई जानकारी नहीं है।”

उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि हम विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं। इजरायल ने जिम्मेदारी से सीमित और लक्षित कार्रवाई की है। यह केवल ईरान की ओर से हमारे विनाश की योजना के खिलाफ है।” उन्होंने कहा कि अमेरिका के हमले ने इजरायली प्रयासों को मजबूती प्रदान की है और अब एक संवाद की खिड़की खुली है।

इजरायली दूत ने बताया, “हमने हाल ही में हमास द्वारा 7 अक्टूबर 2023 को मारे गए तीन और नागरिकों के शवों को बरामद किया है। अब तक हम 200 से अधिक बंधकों को वापस ला चुके हैं, जबकि 50 अब भी लापता हैं, जिनमें से लगभग 20 के जीवित रहने की संभावना है।” उन्होंने कहा कि इजरायल ने मानवीय सहायता वितरण का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है ताकि हमास की पकड़ कमजोर की जा सके। उन्होंने कहा, “हम गाजा में हमास के पूरी तरह से सफाए तक यह युद्ध जारी रखेंगे।”

राजदूत ने स्पष्ट किया, “हमारा उद्देश्य सत्ता परिवर्तन नहीं है, बल्कि ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से उत्पन्न खतरों को समाप्त करना है।”

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को निशाना बनाने पर उन्होंने कहा, “हम किसी भी विकल्प को नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य है, उन खतरों का पूरी तरह सफाया करना जो हमारे अस्तित्व के लिए संकट हैं।”

सोनिया गांधी के लेख पर राजदूत ने नाराजगी जताते हुए कहा, “हमें निराशा है कि जिन राजनेताओं का जिक्र किया गया है, उन्होंने 7 अक्टूबर के हमलों की उचित निंदा नहीं की। ईरान की तीन दशकों की आक्रामकता को नजरअंदाज करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शांति की अपील पर राजदूत अजार ने कहा कि यदि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय आक्रामकता को समाप्त करता है, तो डिप्लोमेसी की गुंजाइश जरूर है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ईरान रचनात्मक और जिम्मेदार रवैया अपनाएगा, जिससे क्षेत्र में स्थिरता और शांति वापस लाई जा सके।

Point of View

हमारा दृष्टिकोण यह है कि अंतरराष्ट्रीय विषयों पर चर्चा करते समय हमें राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए। ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कड़ी निगरानी और उचित कूटनीति आवश्यक है ताकि क्षेत्र में स्थिरता और शांति बनी रहे।
NationPress
22/06/2025

Frequently Asked Questions

क्या ईरान पर अमेरिकी हमले का सकारात्मक प्रभाव हो सकता है?
इजरायल के राजदूत के अनुसार, यह हमला ईरान को वार्ता की मेज पर लौटने का अवसर दे सकता है।
क्या इजरायल अमेरिका का सहयोग कर रहा है?
हाँ, इजरायल अमेरिका के साथ मिलकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए प्रयासरत है।
क्या क्षेत्र में युद्ध की संभावना है?
राजदूत के अनुसार, वर्तमान में विश्व युद्ध की संभावना नहीं है।
ईरान को क्या करना चाहिए?
ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को समाप्त करना चाहिए और कूटनीतिक वार्ता में शामिल होना चाहिए।
क्या पाकिस्तान ईरान को परमाणु सहायता दे रहा है?
राजदूत के अनुसार, उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।