क्या जोधपुर में बांध के पास अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई उचित है?

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क्या जोधपुर में बांध के पास अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई उचित है?

सारांश

जोधपुर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान स्थानीय लोगों की चिंताओं और विरोध को दर्शाता यह लेख, उनके आवासीय अधिकारों और प्रशासन की नीति पर सवाल उठाता है। क्या यह कार्रवाई सही है?

Key Takeaways

  • अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में स्थानीय लोगों की चिंताएं महत्वपूर्ण हैं।
  • प्रशासन को सुनवाई का अवसर प्रदान करना चाहिए।
  • सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • स्थानीय निवासियों की आवाज को सुनना अत्यंत आवश्यक है।
  • अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई में संतुलन बनाना जरूरी है।

जोधपुर, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के जोधपुर में गुरुवार को नगर निगम और पुलिस की टीम उम्मेद सागर बांध के पास अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंची। इस कार्रवाई का स्थानीय लोगों ने विरोध किया और उनके बीच रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि वे यहां लंबे समय से निवास कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों ने कहा कि यदि उन्हें यहां से हटाया गया, तो वे कहां जाएंगे? हम गरीब हैं और किसी की सुनवाई नहीं हो रही। शासन-व्यवस्था हमारी समस्याओं को समझने के लिए तैयार नहीं है।

जोधपुर के एडीसीपी सुनील पवांर ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हम अतिक्रमण के खिलाफ यह कार्रवाई कर रहे हैं। इसके लिए हमने पहले से ही पूरी तैयारी कर ली थी। कार्रवाई के दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए पुलिस बलों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है। वीडियोग्राफी भी की जा रही है। तीन स्तर पर पुलिस बलों को तैनात किया गया है। नगर निगम ने जेसीबी की 10 मशीनें मंगवाई हैं।

उन्होंने बताया कि गुरुवार की कार्रवाई में 100 से अधिक मकानों को चिह्नित किया गया है, जिन्हें ध्वस्त किया जाएगा। हम सुनिश्चित करेंगे कि इस कार्रवाई के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्थित स्थिति उत्पन्न न हो। ड्रोन से पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराई जा रही है।

उन्होंने कहा कि कार्रवाई के दौरान 300 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। इसके अलावा, तीन एसीपी और 10 एसएचओ भी मौके पर मौजूद हैं। कुल मिलाकर हमने तीन चरणों में सुरक्षाबलों को तैनात किया है। व्यवस्था पूरी तरह से सुचारू है। निगम की तरफ से सभी चिह्नित किए गए मकानों को हटाया जा रहा है

इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय लोगों में रोष है। एक स्थानीय महिला कंचन भाटी ने कहा, "कम से कम हमें तीन दिन का समय दे देते, तो अच्छा रहता। हमारा सामान यहां पड़ा हुआ है और जिस तरह की कार्रवाई प्रशासन की तरफ से की जा रही है। हमें समझ नहीं आ रहा है कि हम अपना सामान लेकर कहां जाएं? इतनी जल्दी में कोई किराए पर भी मकान नहीं देगा।"

जब उनसे पूछा गया कि आपने यह मकान किससे खरीदा था, तो उन्होंने कहा कि हमने यह किसी से नहीं खरीदा। लेकिन, हम यहां लंबे समय से रह रहे हैं। अब प्रशासन ने इसे ध्वस्त करने का निर्णय लिया है।

स्थानीय निवासी नेचमंद ने कहा, "मैंने एक लाख रुपए में यहां पर मकान खरीदा था। इसके बाद यहां पर बिजली वगैरह की भी व्यवस्था की गई थी। हम पिछले आठ साल से रह रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि एक महीने पहले निगम से कुछ अधिकारी आए थे और जिन मकानों को ध्वस्त किया जाना है, उस पर निशान लगा दिया गया था। हालांकि, हमारे मकान पर किसी प्रकार का निशान नहीं लगाया गया। हमारी सरकार से अनुरोध है कि हमारे मकान को ध्वस्त न करें।

बता दें कि इससे पहले भी नगर निगम की टीम अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने पहुंची थी, जिसे स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था।

Point of View

यह स्पष्ट है कि स्थानीय निवासियों की चिंताएं और उनकी आवाज को समझना आवश्यक है। हालांकि अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई आवश्यक हो सकती है, लेकिन सरकार का दायित्व है कि वह गरीबों के अधिकारों की रक्षा करे। हमें संतुलन बनाने की आवश्यकता है।
NationPress
19/06/2025