क्या अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप शांति का नोबेल पुरस्कार चाहते हैं? : केपी फैबियन

सारांश
Key Takeaways
- ट्रंप शांति का नोबेल पुरस्कार चाहते हैं।
- मोदी-ट्रंप फोन वार्ता सकारात्मक है।
- इजरायल-ईरान युद्ध से भारत प्रभावित हो सकता है।
- भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला जा रहा है।
- सीजफायर का मुद्दा राजनीतिक है।
नई दिल्ली, 18 जून (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व राजनयिक के. पी. फैबियन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन वार्ता की प्रशंसा की है। उन्होंने ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर लागू कराने के दावे पर संदेह जताया है। उनके अनुसार, ट्रंप शांति का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं, इसलिए वे बार-बार मध्यस्थता का प्रयास कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री मोदी की फोन पर चर्चा के संदर्भ में, के.पी. फैबियन ने राष्ट्र प्रेस से कहा कि यह सुखद है कि मोदी और ट्रंप के बीच संवाद हुआ, भले ही उनका व्यक्तिगत मिलना नहीं हुआ हो। इस कॉल के दौरान, पीएम मोदी ने ट्रंप को 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में विस्तार से बताया। विदेश मंत्रालय के अनुसार, बातचीत में भारत-अमेरिका ट्रेड डील या अमेरिका द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता जैसे मुद्दों पर चर्चा नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि हमें ट्रंप के मनोविज्ञान को समझने की आवश्यकता है। मेरी राय में, वह यह दोहरा सकते हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की कोशिश की, हमें इसे नजरअंदाज करना चाहिए। उनके अनुसार, ट्रंप बार-बार सीजफायर के लिए मध्यस्थता का प्रयास करते हैं क्योंकि वे शांति का नोबेल पुरस्कार पाना चाहते हैं।
इसी बीच, इजरायल-ईरान के बीच चल रहे युद्ध में फंसे भारतीय नागरिकों पर राष्ट्र प्रेस के सवाल पर, उन्होंने बताया कि दूतावास के अनुसार, इजरायल में लगभग 25,000 और ईरान में 10,000 भारतीय नागरिक मौजूद हैं। विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने का काम आरंभ कर दिया है। भारतीय नागरिकों को पहले ही वहां से वापस लाया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि इजरायल और ईरान दोनों भारत के मित्र देश हैं, इसलिए हमें इस स्थिति में सोच-समझकर प्रतिक्रिया देनी चाहिए। इस भीषण युद्ध के कारण वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे भारत में पेट्रोल महंगा हो सकता है।