क्या पाक के डीजीएमओ ने भारत से सीजफायर के लिए भीख मांगी थी? : तहसीन पूनावाला

सारांश
Key Takeaways
- ब्रह्मोस मिसाइल का पाकिस्तान पर असर पड़ा।
- सीजफायर के लिए पाकिस्तान ने भारत से सहायता मांगी।
- पाकिस्तान के पीएम ने भारतीय सेना की ताकत को स्वीकार किया।
- भारत को अपने व्यापार पर पूरा अधिकार है।
- पाकिस्तान को एक विफल देश के रूप में देखा गया।
मुंबई, 18 जून (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने बुधवार को पीएम मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 35 मिनट की फोन बातचीत पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह सच है कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने सीजफायर के लिए भारत से भीख मांगी थी।
तहसीन पूनावाला ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जब भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान पर दागी, तब पाकिस्तान भी कराह उठा। पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। पाकिस्तान के पीएम ने भी स्वीकार किया कि भारतीय सेना ने घर में घुसकर हमला किया।
जब पीएम मोदी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति को बताया, तब कांग्रेस नेता ने कहा कि यह अच्छी बात है कि उन्होंने इस बारे में जानकारी दी। लेकिन, जिस तरह से अमेरिका का अधिकार है यह तय करने का कि उसे किससे व्यापार करना है, उसी प्रकार भारत को भी यह अधिकार है कि वह किससे व्यापार करेगा। भारत को यह अधिकार है कि वह भविष्य में हवाई जहाज और हथियार यूके और फ्रांस से खरीदे।
पूनावाला ने कहा कि जब तक बोइंग विमान के संबंध में जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे पीएम मोदी और अपनी भारतीय सेना पर पूरा विश्वास है। मुझे पीएम मोदी पर विश्वास है कि अमेरिका में भारत-पाकिस्तान के बीच कोई मध्यस्थता नहीं होगी और व्यापार को लेकर कोई बातचीत नहीं होगी। पाकिस्तान एक विफल देश है और मुझे पीएम पर विश्वास है कि वह देश को झुकने नहीं देंगे।
आतंकवाद के मुद्दे पर पूनावाला ने कहा कि पाकिस्तान एक आतंकवादी मुल्क है। यह बात अमेरिका को भी समझनी चाहिए।
पूनावाला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “अगर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान और उनके असिम मुनीर के साथ व्यापार पर बात करना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है। हमारे देश को एयर इंडिया की भयानक दुर्घटना के बाद बोइंग में पारदर्शी जांच शुरू करनी चाहिए और पीड़ित परिवारों को बोइंग पर अरबों डॉलर के लिए कानूनी मुकदमे दायर करने चाहिए।”