क्या सरकार संसद का सत्र चलाने की इच्छा नहीं रखती? शिवसेना-यूबीटी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी

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क्या सरकार संसद का सत्र चलाने की इच्छा नहीं रखती? शिवसेना-यूबीटी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी

सारांश

शिवसेना-यूबीटी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा सरकार पर संसद सत्र को रोकने की मंशा रखने का आरोप लगाया है। क्या यह सच है? जानें इस महत्वपूर्ण बातचीत में उनके विचार और संसद के वर्तमान हालात।

Key Takeaways

  • सरकार का संसद सत्र को न चलाना चिंता का विषय है।
  • संसद में 13 विधेयक लाने की योजना है, जो चर्चा के लिए कम समय प्रदान करता है।
  • बीएलओ पर दबाव बढ़ रहा है, जिससे तनाव पैदा हो रहा है।
  • 'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' जैसे नारों पर रोक लगाना भी विवादास्पद है।
  • प्रजातंत्र में बहस और संवाद होना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना-यूबीटी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की स्वयं यह मंशा नहीं है कि संसद का सत्र चले।

सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि भाजपाई इस अहंकार में हैं कि हर जगह सत्ता बना लेंगे और फिर संसदीय प्रक्रिया का पालन करने की आवश्यकता नहीं है। संसद की कार्यवाही 15 दिन की है और उसमें 13 विधेयक लाने की तैयारी है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वे कोई पूरी चर्चा नहीं चाहते। वे चाहते हैं कि ये बिल रुकावट के बीच पास हों।

शिवसेना-यूबीटी की सांसद ने कहा, "सत्तापक्ष नहीं चाहता है कि विपक्ष के मुद्दे जनता के बीच तक पहुंचें और वहां जनता के विषय को संसद में विपक्ष उठाए, जिससे सरकार की कमियां सबके सामने आएं। यह देश का दुर्भाग्य है कि आज तक के इतिहास में शीतकालीन सत्र की अवधि सबसे कम रखी गई है। इसके पीछे इनकी यह सोच है कि सदन चले नहीं। मैं मानती हूं कि जो लोग संसदीय लोकतंत्र और संविधान पर विश्वास रखते हैं, वे उनके कारनामे देखें और जवाबदेही तय की जाए।"

एसआईआर के विषय पर भी प्रियंका चतुर्वेदी ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "एसआईआर की वजह से बीएलओ पर जिस तरह से दबाव डाला जा रहा है, वह चिंता का विषय है। कुछ लोग तो तनाव में अपनी जान भी गंवा रहे हैं, हार्ट अटैक भी झेल रहे हैं। जिन लोगों के डॉक्यूमेंट्स अधूरे हैं, वे भी अपने अधिकारों को लेकर तनाव में हैं।"

उन्होंने कहा कि भरोसे बनाने के तरीके होने चाहिए, ताकि जब कोई बीएलओ घर जाए, तो वह तथ्य और सच्चाई के आधार पर काम करे, न कि राजनीतिक एजेंडा के आधार पर। उस पर इस बात का दबाव न हो कि मतदाता सूची में किसका नाम होना चाहिए और किसका नहीं।

राज्यसभा में 'जय हिंद' और 'वंदे मातरम' जैसे नारों पर रोक को लेकर शिवसेना-यूबीटी की सांसद ने कहा, "राज्यसभा में एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि नियमों, तमीज और गाइडलाइंस के तहत 'वंदे मातरम' और 'जय हिंद' जैसे नारे नहीं लगाए जा सकते। इन नारों ने पूरे देश को ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती देने और आजादी के लिए लड़ने के लिए एकजुट किया था। आज वही भाजपा, जो देशभक्ति का सर्टिफिकेट रखने का दावा करती है और दूसरों को देशद्रोही कहती है, हमसे कह रही है कि हम 'जय हिंद' या 'वंदे मातरम' नहीं कह सकते। उन्हें यह अधिकार किसने दिया है?"

Point of View

यह स्पष्ट है कि संसद में चर्चा और मुद्दों पर बहस होना लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा है। प्रियंका चतुर्वेदी के आरोप गंभीर हैं और यह आवश्यक है कि हम इस पर ध्यान दें। संसद का सत्र चलाने की मंशा रखना सरकार की जिम्मेदारी है, और यह समय की आवश्यकता है कि सभी पक्षों को अपनी बात रखने का अवसर मिले।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

प्रियंका चतुर्वेदी ने किस विषय पर सरकार पर आरोप लगाए?
प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा सरकार पर संसद सत्र को चलाने की इच्छा न रखने का आरोप लगाया है।
कितने विधेयक संसद में लाने की योजना है?
संसद में 13 विधेयक लाने की योजना है।
एसआईआर के विषय पर प्रियंका चतुर्वेदी ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि एसआईआर के कारण बीएलओ पर बहुत दबाव डाला जा रहा है, जो चिंता का विषय है।
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