क्या ट्रंप का व्यवहार मानसिक रूप से स्थिर नहीं है? : मनोज कुमार झा

सारांश
Key Takeaways
- मनोज कुमार झा ने ट्रंप के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाया है।
- भारत ने कभी भी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है।
- प्रधानमंत्री मोदी को बिहार के युवाओं के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
- तेजस्वी यादव ने चुनावी मुद्दों को उठाया है।
- वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज कुमार झा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बारे में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि ट्रंप के व्यवहार से यह स्पष्ट होता है कि वे मानसिक रूप से स्थिर नहीं हैं। गुरुवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि देश की संसद के माध्यम से ट्रंप को यह संदेश देना चाहिए कि भारत ने न तो अतीत में और न ही वर्तमान में मध्यस्थता को स्वीकार किया है।
राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, "आज अमेरिकी राष्ट्रपति के व्यवहार को देखकर ऐसा नहीं लगता कि वे मानसिक रूप से स्थिर हैं। मेरी चिंता इस मुद्दे पर गहराई से है। कल हमारे विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ब्रीफिंग की और उसके कुछ ही समय बाद डोनाल्ड ट्रंप का एक ऐसा बयान आया जिसने तर्कहीनता को उजागर किया। इसलिए मैं बार-बार कहता हूं कि लोग इसे इतनी गंभीरता से क्यों लेते हैं? हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में संसद में हर मुद्दे पर विस्तृत चर्चा होती है। हमें अमेरिका के राष्ट्रपति को स्पष्ट संदेश देना चाहिए, 'यहां आपका कोई काम नहीं है।' हम मध्यस्थता को न अतीत में मानते थे और न अब मानेंगे। यह सब कुछ संसद के मंच से होना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर ने ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग की है। ऐसे में, ट्रंप से बड़ा कद उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन का है। नेतन्याहू शांति के झंडाबरदार हैं; वे गाजा और ईरान में शांति का संदेश देते हैं। वैश्विक स्थिति बहुत जटिल होती जा रही है, इसलिए हमें संसद में एक साझा स्वर के साथ-साथ अपनी विदेश नीति और कूटनीति को भी बढ़ाना होगा।
प्रधानमंत्री के बिहार के सिवान दौरे पर, उन्होंने कहा कि वह देश के पीएम हैं, कहीं भी जा सकते हैं। चुनावी मौसम में यह आना-जाना बढ़ जाता है। इस दौरान गमछा, लिट्टी और सत्तू के दृश्य भी देखने को मिलेंगे। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बिहार के युवाओं के लिए नौकरी की चुनौती है; पीएम मोदी को इस पर बात करनी चाहिए। तेजस्वी यादव ने सामाजिक सुरक्षा में वृद्धि, खराब स्वास्थ्य व्यवस्था और कानून व्यवस्था जैसे चुनावी मुद्दों को उठाया है; इस पर पीएम को बोलना चाहिए।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तेजस्वी के सिर पर लालू ने ताज नहीं रखा था। 2015 में राघवपुर में चुनाव हर घर दस्तक देकर लड़ा गया, जीते और 2020 में उससे भी अधिक संख्या में विधायक लेकर आए। तेजस्वी के परिवार का कोई नामित नहीं है, बल्कि वे चयनित हैं।