क्या महाराष्ट्र के स्कूलों में मराठी भाषा अनिवार्य है?

सारांश
Key Takeaways
- मराठी भाषा स्कूलों में अनिवार्य होगी।
- तीसरी भाषा का चयन अभिभावकों पर होगा।
- छात्रों की संख्या 20 से कम होने पर ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प होगा।
- हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया गया है।
- यह निर्णय छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
मुंबई, 18 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के स्कूलों में मराठी भाषा को अनिवार्य बनाने के संबंध में स्कूल शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे का एक महत्वपूर्ण बयान आया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी स्कूलों में मराठी पढ़ाना अनिवार्य होगा और तीसरी भाषा के रूप में अभिभावक किसी भी विषय का चयन कर सकते हैं।
दादाजी भुसे ने बुधवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "हर माध्यम के स्कूलों में मराठी भाषा पढ़ाई जाएगी। तीसरी भाषा के चयन का निर्णय छात्र और उनके अभिभावक खुद कर सकते हैं, जिस पर विद्यालय व्यवस्था करेगा। हालांकि, यह ध्यान रखना होगा कि छात्रों की संख्या 20 से अधिक होनी चाहिए, अन्यथा उन्हें ऑनलाइन पढ़ाया जाएगा। तीसरी भाषा के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार अभिभावकों पर छोड़ा गया है। मैं मानता हूं कि यह कदम महाराष्ट्र के छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखकर उठाया गया है।"
दादाजी भुसे ने आगे कहा, "पिछले कई वर्षों से महाराष्ट्र और मुंबई में तीन भाषा प्रणाली के तहत स्कूल चल रहे हैं। मेरा मानना है कि इस प्रतिस्पर्धा में महाराष्ट्र के सभी स्कूलों को शामिल रहना चाहिए, इसलिए सरकार ने यह निर्णय लिया है।"
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में भाषा के विवाद के बीच राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कक्षा 1 से 5 तक, मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य किया गया है। राज्य सरकार ने बुधवार को आधिकारिक आदेश जारी किया है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि हिंदी तीसरी भाषा के रूप में सामान्य अध्ययन के लिए लागू की जाएगी। आदेश में कहा गया है, "सभी माध्यम के स्कूलों में मराठी अनिवार्य भाषा होगी। इस कार्यान्वयन की सभी व्यवस्थाएं शिक्षा विभाग द्वारा की जाएंगी। मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 के लिए हिंदी अब से तीसरी भाषा होगी।"