क्या मई में भारतीय इक्विटी मार्केट ने वैश्विक बाजारों को पीछे छोड़ दिया?

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क्या मई में भारतीय इक्विटी मार्केट ने वैश्विक बाजारों को पीछे छोड़ दिया?

सारांश

मई में भारतीय शेयर बाजार ने वैश्विक बाजारों को पीछे छोड़कर 1.7% की वृद्धि हासिल की है। निफ्टी मिडकैप और स्मॉलकैप ने भी शानदार प्रदर्शन किया। रिपोर्ट के मुताबिक, मजबूत मैक्रो फंडामेंटल और निवेशकों की सकारात्मक धारणा ने इसे संभव बनाया। जानिए इस सफलता के पीछे के कारण क्या हैं।

Key Takeaways

  • भारतीय इक्विटी बाजार ने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों को पीछे छोड़ दिया।
  • मिडकैप और स्मॉलकैप में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई।
  • सकारात्मक धारणा का निवेशकों पर बड़ा प्रभाव पड़ा।
  • भारतीय मैक्रो संकेतक स्वस्थ बने हुए हैं।
  • खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है।

मुंबई, 17 जून (राष्ट्र प्रेस) मजबूत अर्थव्यवस्था और विभिन्न क्षेत्रों में बड़े स्तर पर खरीदारी के चलते मई में भारतीय शेयर बाजारों में वृद्धि हुई।

पीएल एसेट मैनेजमेंट की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय इक्विटी बाजार ने कई वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में विशेष रूप से मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में बेहतर प्रदर्शन किया है, जो ठोस मैक्रो फंडामेंटल और निवेशकों की सकारात्मक धारणा के कारण संभव हुआ।

पीएल एसेट मैनेजमेंट में क्वांट इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजीज के प्रमुख सिद्धार्थ वोरा ने कहा कि भारत की मजबूत आर्थिक आधार और बेहतर वैश्विक धारणा, निवेशकों के लिए एक सकारात्मक माहौल प्रदान करती हैं।

मई में निफ्टी 1.7 प्रतिशत बढ़कर 24,800 अंक के करीब बंद हुआ और निफ्टी मिडकैप 150 में 6.5 प्रतिशत और स्मॉलकैप 250 में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

इस प्रदर्शन को डिफेंस, मेटल और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों जैसे चक्रीय क्षेत्रों के साथ-साथ खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी का समर्थन मिला।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के मैक्रो संकेतक स्वस्थ बने हुए हैं, जिसमें स्थिर कर संग्रह, मुद्रास्फीति में कमी, मजबूत पीएमआई डेटा और बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार शामिल हैं। इन कारकों ने घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों के बीच विश्वास बनाने में मदद की।

मई में निफ्टी 500 में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि निफ्टी 500 इक्वल वेट इंडेक्स में 8.5 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है।

इस वृद्धि के साथ बाजार के मूल्यांकन में भी वृद्धि आई है। निफ्टी का पीई अनुपात 22.3 गुना तक बढ़ गया, जबकि पीबी अनुपात 3.6 गुना रहा।

हालांकि, मिड और स्मॉल-कैप वैल्यूएशन अपने पांच साल के औसत से ऊपर बने हुए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, सेक्टोरल रोटेशन और बेहतर होते सेंटीमेंट के कारण हाई-बीटा और मोमेंटम स्ट्रैटेजी में क्रमशः 8 प्रतिशत और 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अच्छी आय और सुरक्षित निवेश अपील के कारण गुणवत्ता वाले शेयरों में भी मजबूत रुचि देखी गई।

Point of View

हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि भारतीय इक्विटी बाजार की यह वृद्धि न केवल घरेलू निवेशकों के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण संकेत देती है। यह दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और निवेशकों का विश्वास इस क्षेत्र में सकारात्मक धारणा को बढ़ा रहा है।
NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

मई में भारतीय इक्विटी बाजार का प्रदर्शन कैसा रहा?
मई में भारतीय इक्विटी बाजार ने 1.7% की वृद्धि दर्ज की, जो वैश्विक बाजारों से बेहतर है।
कौन से क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि हुई?
मिडकैप और स्मॉलकैप सेक्टर में सबसे अधिक वृद्धि हुई है, जिसमें क्रमशः 6.5% और 9.5% की वृद्धि शामिल है।
भारतीय इक्विटी बाजार को क्या समर्थन मिला?
डिफेंस, मेटल और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों जैसे चक्रीय क्षेत्रों के साथ-साथ खुदरा निवेशकों की भागीदारी ने इसे समर्थन दिया है।
क्या मैक्रो संकेतक स्वस्थ हैं?
हाँ, भारत के मैक्रो संकेतक जैसे स्थिर कर संग्रह और मुद्रास्फीति में कमी स्वस्थ बने हुए हैं।
निवेशकों के लिए क्या संकेत है?
यह प्रदर्शन दर्शाता है कि भारत का निवेश वातावरण सकारात्मक है, जो घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षण बढ़ा रहा है।