क्या पीएम मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने जहाज निर्माण और समुद्री क्षेत्र के लिए 69,725 करोड़ रुपए के पैकेज को मंजूरी दी?

सारांश
Key Takeaways
- 69,725 करोड़ रुपए का पैकेज भारत के जहाज निर्माण को सुदृढ़ करेगा।
- 4.5 मिलियन ग्रॉस टन क्षमता में वृद्धि होगी।
- लगभग 30 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
- समुद्री आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा।
नई दिल्ली, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत के जहाज निर्माण और समुद्री क्षेत्र के सामरिक एवं आर्थिक महत्व को मान्यता देते हुए 69,725 करोड़ रुपए के एक व्यापक पैकेज को मंजूरी प्रदान की।
यह पैकेज घरेलू क्षमता को सुदृढ़ करने, दीर्घकालिक वित्तपोषण में सुधार, ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड शिपयार्ड विकास को बढ़ावा देने, तकनीकी क्षमताओं और कौशल में वृद्धि, तथा एक मजबूत समुद्री इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए आवश्यक कानूनी, कराधान और नीतिगत सुधारों को लागू करने के लिए तैयार किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए कहा कि समुद्री आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। कैबिनेट ने भारत के शिपबिल्डिंग और समुद्री क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए इस पैकेज को मंजूरी दी है। इससे 4.5 मिलियन ग्रॉस टन क्षमता में वृद्धि होगी, रोजगार के अवसर पैदा होंगे और निवेश को आकर्षित किया जाएगा।
इस पैकेज के अंतर्गत जहाज निर्माण वित्तीय सहायता योजना (एसबीएफएएस) को 31 मार्च 2036 तक बढ़ाया जाएगा, जिसकी कुल राशि 24,736 करोड़ रुपए होगी। इसका उद्देश्य भारत में जहाज निर्माण को प्रोत्साहित करना है, जिसमें 4,001 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ एक शिपब्रेकिंग क्रेडिट नोट भी शामिल है। सभी पहलों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन स्थापित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, इस क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण प्रदान करने हेतु 25,000 करोड़ रुपए की राशि के साथ समुद्री विकास निधि (एमडीएफ) को मंजूरी दी गई है। इसमें भारत सरकार की 49 प्रतिशत भागीदारी वाला 20,000 करोड़ रुपए का समुद्री निवेश कोष और ऋण की प्रभावी लागत को कम करने के लिए 5,000 करोड़ रुपए का ब्याज प्रोत्साहन कोष शामिल है।
19,989 करोड़ रुपए के बजटीय परिव्यय वाली जहाज निर्माण विकास योजना (एसबीडीएस) का उद्देश्य घरेलू जहाज निर्माण क्षमता को सालाना 4.5 मिलियन सकल टन भार तक बढ़ाना है। इसके अंतर्गत मेगा जहाज निर्माण समूहों को सहायता, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार, भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के अंतर्गत भारत जहाज प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना और जहाज निर्माण परियोजनाओं के लिए बीमा सहायता सहित जोखिम कवरेज प्रदान किया जाएगा।
इस समग्र पैकेज से 4.5 मिलियन सकल टन भार की जहाज निर्माण क्षमता का विकास, लगभग 30 लाख रोजगार सृजन और भारत के समुद्री क्षेत्र में लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित होने की संभावना है। यह पहल राष्ट्रीय, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को भी मजबूत करेगी और भारत की भू-राजनीतिक दृढ़ता को सुदृढ़ करेगी। यह आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगी और भारत को वैश्विक नौवहन एवं जहाज निर्माण में एक प्रतिस्पर्धी शक्ति के रूप में स्थापित करेगी।
भारत का एक लंबा और गौरवशाली समुद्री इतिहास रहा है, जो सदियों पुराना व्यापार और समुद्री यात्रा इस उपमहाद्वीप को दुनिया से जोड़ता है। समुद्री क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो देश के लगभग ९५ प्रतिशत व्यापार को मात्रा के अनुसार और ७० प्रतिशत मूल्य के अनुसार सहारा देता है। इसके मूल में जहाज निर्माण है, जिसे 'भारी इंजीनियरिंग की जननी' कहा जाता है। यह न केवल रोजगार और निवेश में महत्वपूर्ण योगदान देता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक स्वतंत्रता और व्यापार एवं ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं के अनुकूलन में भी महत्वपूर्ण है।