क्या सर्वपितृ अमावस्या पर विशेष श्राद्ध करना चाहिए? जानिए सर्वार्थ सिद्धि योग के बारे में

सारांश
Key Takeaways
- सर्वपितृ अमावस्या पर अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध करें।
- पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण एवं पिंडदान
- इस दिन पीपल की पूजा करना न भूलें।
- सर्वार्थ सिद्धि योग का लाभ उठाएं।
नई दिल्ली, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सर्वपितृ अमावस्या और आश्विन अमावस्या इस शनिवार को आ रही है। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का विशेष संयोग भी बन रहा है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा दोपहर 3 बजकर 57 मिनट से 57 मिनट तक सिंह राशि में रहेंगे। इसके बाद, चंद्रमा कन्या राशि में गोचर करेंगे।
दृक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय 4 बजकर 48 मिनट से लेकर 6 बजकर 19 मिनट तक होगा।
गरुड़ पुराण के अनुसार, अमावस्या तिथि पर श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा और चतुर्दशी तिथि को हुई हो। यदि कोई सभी तिथियों पर श्राद्ध करने में असमर्थ हो, तो वह अमावस्या तिथि पर सभी के लिए श्राद्ध कर सकता है। इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इस दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करें। गाय, कुत्ते, कौवे, देवता और चींटी के लिए भोजन निकालें। ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें। पीपल
सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक अत्यंत शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसका मुहूर्त 11 सितंबर की सुबह 6 बजकर 4 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।