क्या फादर्स डे पर भावुक हुए शिवम खजुरिया? 'पापा मुझे अपने कंधों पर बैठाकर स्कूल छोड़ने जाया करते थे'

सारांश
Key Takeaways
- पिता का महत्व - शिवम के लिए उनके पिता ने जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाए।
- यादें - बचपन की यादें हमेशा हमारे साथ रहती हैं।
- प्रेरणा - पिता की ऊर्जा आज भी शिवम को प्रेरित करती है।
मुंबई, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। फादर्स डे के विशेष अवसर पर, 'अनुपमा' सीरियल के अभिनेता शिवम खजूरिया ने अपने दिवंगत पिता के साथ बिताए कुछ अनमोल क्षणों को राष्ट्र प्रेस के साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि उनके पिता अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके साथ बिताया एक क्षण आज भी उनके दिल के पास है।
शिवम ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "मेरे पापा ने मुझे ईमानदारी, विनम्रता और मेहनत का महत्व सिखाया। ये तीन बातें मैंने हमेशा अपने जीवन और करियर में अपनाई हैं। मेरे पापा के साथ कई यादगार पल हैं, लेकिन एक खास याद मेरे दिल के बहुत करीब है, जब मैं छोटा था, तो पापा मुझे अपने कंधों पर बैठाकर स्कूल छोड़ने जाया करते थे। मेरे लिए यह बहुत मायने रखता था। यह एक खूबसूरत याद है, जिसे मैं हमेशा संजोकर रखूंगा।"
उन्होंने आगे कहा, "मुझे अपने पापा पर बहुत गर्व है और मैं उनका दिल से आभारी हूं। उन्होंने हमेशा अपनी शर्तों पर जिंदगी जी। चाहे कोई दुख या तनाव हो, उन्होंने कभी अपने चेहरे पर शिकन तक आने नहीं दी। वह जिंदादिल इंसान थे, और उनकी ऊर्जा आज भी मुझे प्रेरित करती है।"
जब राष्ट्र प्रेस ने शिवम से उनकी अभिनय शैली और किरदार पर उनके पापा के प्रभाव के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कहूंगा कि मेरे पापा ने मेरी अभिनय शैली को सीधे तौर पर प्रभावित किया है। लेकिन जब मैं कोई किरदार निभाता हूं, तो अक्सर उन लोगों की झलक उसमें आती है जिन्हें मैंने अपने जीवन में देखा है और उनमें मेरे पापा भी शामिल हैं। एक्टर के तौर पर मैं अपने आसपास के लोगों की बातें, आदतें और स्वभाव को नोटिस करता हूं। लेकिन असली जिंदगी में, मेरी बहुत-सी आदतें और सोचने का तरीका मेरे पापा से ही आया है।"
शिवम ने एक ऐसे सीन के बारे में बताया, जिसे शूट करते वक्त उन्हें अपने दिवंगत पिता की याद आ गई। उन्होंने कहा, "यह एक बहुत भावुक पल था। इस सीन में एक पिता और बेटी के बीच झगड़े को दिखाया जा रहा था। सीन करते वक्त मुझे अपने पापा की याद आ गई, और मैं अंदर से बहुत भावुक हो गया था।"
उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से मेरे पापा दस साल पहले चल बसे, इसलिए मैं कभी अपने काम को लेकर उनके विचार नहीं सुन पाया। लेकिन मुझे लगता है कि मेरे सही करने पर वह मुस्कुराते हैं और जहां मैं गलत होता हूं, तो मुझे आशीर्वाद देकर सही रास्ता दिखाते हैं।"