क्या एक पेड़ मां के नाम की तर्ज पर चेकडैम और तालाब निर्माण को जनांदोलन बनाया जा सकता है?

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क्या एक पेड़ मां के नाम की तर्ज पर चेकडैम और तालाब निर्माण को जनांदोलन बनाया जा सकता है?

सारांश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जल संकट के समाधान के लिए चेक डैम और तालाब निर्माण को जनांदोलन बनाने का आह्वान किया है। उन्होंने इसे एक राष्ट्रीय आवश्यकता बताया और प्रदेश में चल रहे प्रयासों की जानकारी दी। क्या यह पहल उत्तर प्रदेश के जल संकट को सुलझा सकती है?

Key Takeaways

  • जल संकट का समाधान सामूहिक प्रयासों से संभव है।
  • चेक डैम और तालाब निर्माण को जनांदोलन बनाने का आह्वान।
  • प्रति चेक डैम से 20 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता।
  • रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बनाने की दिशा में कदम।
  • बढ़ती हुई भूजल स्तर से किसानों को लाभ।

लखनऊ, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग (लघु सिंचाई) की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में कहा कि जल संकट आज हमारी सामूहिक चिंता का विषय बन चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप वर्षा जल को रोककर धीरे-धीरे उसे भूमि में समाहित होने देते हैं। यह केवल स्थानीय प्राथमिकता नहीं है बल्कि राष्ट्रीय आवश्यकता है। चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप केवल पानी रोकने की व्यवस्था नहीं बल्कि समेकित जल प्रबंधन है, जो बड़े बांधों की तुलना में यह काफी किफायती है। उन्होंने निर्देशित किया कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ की तर्ज पर जनांदोलन बनाते हुए चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कराएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय/बरसाती नदी/नालों में विभाग द्वारा अद्यतन 6,448 चेकडैम का निर्माण किया जा चुका है। प्रत्येक चेकडैम से औसतन 20 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता विकसित होती है। इस प्रकार निर्मित चेकडैम से कुल 1,28,960 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित हुई है और हर साल 10 हजार हेक्टेयर मीटर से अधिक भूजल रिचार्ज हो रहा है।

उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से अन्नदाता किसान वर्ष में दो से तीन फसल लेने में सक्षम हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षा जल संचयन और ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग की दिशा में प्रदेश सरकार लगातार कदम उठा रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 से अब तक 1,002 चेकडैम की डी-सिल्टिंग और मरम्मत कर उनकी क्षमता में वृद्धि की गई है। इसी तरह प्रदेश के 1 से 5 हेक्टेयर के 16,610 तालाबों में से 1,343 का पुनर्विकास और जीर्णोद्धार किया गया है, वहीं वर्ष 2017-2025 तक 6,192 ब्लास्टकूप के माध्यम से 18,576 हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित हुई है।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि बरसात से पहले यानी 1 अप्रैल से 15 जून तक कुम्हारों को तालाब से मुफ्त मिट्टी निकालने की छूट दी जाए, ताकि तालाब रिचार्ज के लिए तैयार हो सकें। बरसात के बाद इन्हें मत्स्य पालन और सिंघाड़ा उत्पादन के लिए उपयोग में लाकर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित किए जाएं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर विशेष बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 100 वर्ग मीटर से बड़े सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए यह कदम निर्णायक साबित होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 तक प्रदेश में 82 अतिदोहित और 47 क्रिटिकल क्षेत्र थे। सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 2024 में यह घटकर 50 अतिदोहित और 45 क्रिटिकल क्षेत्र रह गए हैं, जो संतोषजनक है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में और तेजी लाकर आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों को पूरी तरह सामान्य श्रेणी में लाने का प्रयास होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जैसे "एक पेड़ मां के नाम" अभियान ने वृक्षारोपण को जनांदोलन का रूप दिया है, वैसे ही चेकडैम और तालाब निर्माण भी सामूहिक प्रयासों से बड़े स्तर पर संचालित किया जाए। यह न केवल जल संकट से निपटने में सहायक होगा, बल्कि प्रदेश की कृषि, मत्स्य पालन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई गति देगा।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हर जिले में तालाबों, ब्लास्टकूपों और चेकडैमों की फोटोग्राफिक डॉक्यूमेंटेशन कराएं। साथ ही जनता को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से अभियान चलाया जाए।

Point of View

बल्कि इससे कृषि और ग्रामीण विकास में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह योजना अगर सफल होती है, तो यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है।
NationPress
04/10/2025

Frequently Asked Questions

चेक डैम क्या होते हैं?
चेक डैम छोटे जलाशयों की तरह होते हैं जो वर्षा के पानी को रोककर उसे भूमि में समाहित करने में मदद करते हैं।
क्या चेक डैम बनाने से जल संकट का समाधान होगा?
हां, चेक डैम जल संकट को कम करने में सहायक होते हैं और भूजल स्तर को बढ़ाते हैं।
तालाबों का पुनर्विकास क्यों आवश्यक है?
तालाबों का पुनर्विकास जल संचयन और कृषि के लिए आवश्यक है, जिससे जल की उपलब्धता बढ़ती है।