क्या एनर्जी ट्रांजिशन में सही दिशा में आगे बढ़ रहा है भारत? : प्रणव अदाणी

सारांश
Key Takeaways
- भारत एनर्जी ट्रांजिशन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
- सीआरएफ जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक मुद्दों पर अनुसंधान करेगा।
- जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ना आवश्यक है।
- सभी स्तरों पर लाभ पहुंचाना हमारा लक्ष्य है।
- समानता और न्याय को बनाए रखना भी जरूरी है।
नई दिल्ली, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। अदाणी इंटरप्राइजेज के निदेशक प्रणव अदाणी ने गुरुवार को कहा कि एनर्जी ट्रांजिशन अर्थात् जीवाश्म ईंधन से हरित ऊर्जा की दिशा में भारत उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है और हमारी भूमिका का प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ रहा है।
बिजनेस समूह द्वारा स्थापित थिंक टैंक 'चिंतन रिसर्च फाउंडेशन' (सीआरएफ) की पहली वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सीआरएफ जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीतिक मुद्दे और अर्थव्यवस्था तथा व्यापार पर ध्यान केंद्रित करेगा।
प्रणव अदाणी ने कहा, "जब हम जलवायु परिवर्तन की चर्चा करते हैं, तो एनर्जी ट्रांजिशन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और जिस तरह भारत आज एक भूमिका निभा रहा है, उसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर दिखाई देगा। हमने (पेरिस) सीओपी में जो वादा किया था, उस पर हम आगे बढ़ रहे हैं। एक राष्ट्र के रूप में हम एनर्जी ट्रांजिशन में प्रगति कर रहे हैं। जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर, और इस मार्ग पर ग्रीन इकोनॉमी की दिशा में हम बढ़ रहे हैं। हमें विश्वास है कि भारत सही दिशा में है।"
उन्होंने कहा कि सीआरएफ प्रमाण आधारित अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रिसर्च फाउंडेशन का किसी देश के विकास में योगदान महत्वपूर्ण होता है, विशेषकर जब रिसर्च भारत के विकास की कहानी पर हो। सही तस्वीर सामने आती है, और इसी दृष्टिकोण से हम अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं।
पश्चिम एशिया में चल रहे भू-राजनीतिक तनावों के संदर्भ में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में प्रणव अदाणी ने कहा कि विदेशों में स्थित परिसंपत्तियों के संबंध में कुछ चिंता है, लेकिन "हमारे सारे एसेट्स सुरक्षित हैं और इस पर घबराने की आवश्यकता नहीं है।"
चिंतन रिसर्च फाउंडेशन के प्रेसिडेंट शिशिर प्रियदर्शी ने एक वर्ष की उपलब्धियों के बारे में बताया कि फाउंडेशन ने अपेक्षाकृत अधिक हासिल किया है। एक वर्ष में 50 ओपेड और 150 लेख प्रकाशित किए हैं और सात-आठ बड़े इवेंट आयोजित किए हैं। यह एक संतोषजनक और मेहनत भरी यात्रा रही है।
उन्होंने कहा कि सीआरएफ का मोटो है कि चिंतन एक्शन में बदले, ऐसा एक्शन जो वास्तविक बदलाव लाए। उन्होंने कहा कि परिवर्तन ऐसा होना चाहिए जो सामान्य लोगों के जीवन में प्रगति का आधार बने। यदि हम गांव के आखिरी व्यक्ति तक लाभ नहीं पहुंचा पाते हैं, तो यह उचित नहीं होगा।
शिशिर प्रियदर्शी ने कहा कि हमें जीरो नेट एमिशन हासिल करना है, लेकिन साथ ही अपने विकास को नहीं भूलना चाहिए। समानता और न्याय बनाए रखना भी आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना होगा कि जीवाश्म ईंधन पर जिनकी आजीविका निर्भर है, उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना हम आगे नहीं बढ़ जाएं।