क्या भारत की ऊर्जा क्षमता 10 वर्षों में 56 प्रतिशत बढ़कर 476 गीगावाट हो गई?

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क्या भारत की ऊर्जा क्षमता 10 वर्षों में 56 प्रतिशत बढ़कर 476 गीगावाट हो गई?

सारांश

भारत की ऊर्जा क्षमता में पिछले 10 वर्षों में 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा देश की बढ़ती मांग, बुनियादी ढांचे के विकास और नवीकरणीय ऊर्जा पर केंद्रित नीतियों का परिणाम है। जानें कैसे भारत विश्व ऊर्जा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

Key Takeaways

  • 476 गीगावाट की कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता
  • 56 प्रतिशत की वृद्धि पिछले 10 वर्षों में
  • 22.2 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी
  • 2.8 करोड़ घरों का विद्युतीकरण
  • 39 गुना की वृद्धि सौर ऊर्जा में

नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस) भारत की ऊर्जा क्षमता में पिछले 10 वर्षों में बढ़ती मांग, बुनियादी ढांचे के विकास और पारंपरिक एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लिए मजबूत नीतिगत समर्थन के चलते उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

रविवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता 2015-16 में 305 गीगावाट से 56 प्रतिशत बढ़कर जून 2025 तक 476 गीगावाट हो गई है।

देश में बिजली उत्पादन 2015-16 में 1,168 बिलियन यूनिट (बीयू) से बढ़कर 2024-25 में अनुमानित 1,824 बीयू हो गया है। वहीं, बिजली की कमी 2013-14 में 4.2 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 0.1 प्रतिशत पर आ गई है।

इसके अतिरिक्त, इस अवधि में 2.8 करोड़ से अधिक घरों का विद्युतीकरण किया गया और प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में 45.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता 476 गीगावाट है, जिसमें 240 गीगावाट थर्मल, 110.9 गीगावाट सौर और 51.3 गीगावाट पवन ऊर्जा शामिल हैं।

एक तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के तौर पर, भारत ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन में एक केंद्रीय भूमिका निभा रहा है। इसकी ऊर्जा मांग प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज दर से बढ़ने की संभावना है, जो निरंतर आर्थिक विकास से प्रेरित है। नतीजतन, वैश्विक प्राथमिक ऊर्जा खपत में भारत की हिस्सेदारी 2035 तक दोगुना होने का अनुमान है।

पिछले ग्यारह वर्षों में, भारत ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। सीओपी26 में की गई प्रतिबद्धता के अनुरूप, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावाट स्थापित बिजली क्षमता हासिल करने का प्रयास कर रहा है।

जून 2025 तक देश ने गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 235.7 गीगावाट की ऊर्जा क्षमता प्राप्त कर ली है, जिसमें 226.9 गीगावाट अक्षय ऊर्जा और 8.8 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल हैं, जो 476 गीगावाट की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 49 प्रतिशत है।

देश के कुल बिजली उत्पादन में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़कर लगभग 22.2 प्रतिशत हो गई है, जो कि 2014 में 17.20 प्रतिशत थी।

यह डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों और एक सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इसके अलावा, 176.70 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं कार्यान्वयन के अधीन हैं, जिनमें से 72.06 गीगावाट बोली के चरणों में हैं।

2014 से देश की सौर क्षमता में 39 गुना से अधिक की बढ़त देखी गई है, जो 2.82 गीगावाट से बढ़कर 2025 में 110.9 गीगावाट हो गई है, जिसमें अकेले 2024-25 में रिकॉर्ड 23.83 गीगावाट की वृद्धि शामिल है।

Point of View

बल्कि हमारे पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।
NationPress
22/06/2025

Frequently Asked Questions

भारत की ऊर्जा क्षमता कितनी है?
भारत की कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता 476 गीगावाट है।
भारत में बिजली उत्पादन में वृद्धि का कारण क्या है?
बढ़ती मांग, बुनियादी ढांचे का विकास और नीतिगत समर्थन इस वृद्धि के मुख्य कारण हैं।
भारत में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी क्या है?
भारत के कुल बिजली उत्पादन में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी लगभग 22.2 प्रतिशत है।
भारत ने कितने घरों का विद्युतीकरण किया है?
भारत में 2.8 करोड़ से अधिक घरों का विद्युतीकरण किया गया है।
भारत का सौर ऊर्जा उत्पादन कितना है?
भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 110.9 गीगावाट है।