क्या कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से ऑयल इंडिया और ओएनजीसी के शेयरों में उछाल आया?

सारांश
Key Takeaways
- कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का मुख्य कारण इजरायल-ईरान संघर्ष है।
- ऑयल इंडिया और ओएनजीसी के शेयरों में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी देखने को मिल रही है।
नई दिल्ली, 16 जून (राष्ट्र प्रेस)। कच्चे तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के कारण पिछले पांच कारोबारी सत्रों में भारत की प्रमुख क्रूड ऑयल उत्पादक कंपनियों ऑयल इंडिया और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के शेयरों में करीब 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
ऑयल इंडिया का शेयर पिछले पांच कारोबारी सत्रों में 10.15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर चुका है।
वहीं, ओएनजीसी के शेयर में 5.06 प्रतिशत की बढ़त आई है।
शुक्रवार को ओएनजीसी का शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 1.88 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 256 रुपए पर बंद हुआ। दूसरी ओर, ऑयल इंडिया का शेयर 0.25 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 479 रुपए पर बंद हुआ।
13 जून को इजरायल द्वारा ईरान पर हवाई हमलों के बाद कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखा गया है, जो अब तक लगभग 7 प्रतिशत महंगा हो चुका है। 12 जून को ब्रेंट क्रूड की कीमत 69.36 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमत 66.64 डॉलर प्रति बैरल थी।
हालांकि, बड़ी रैली के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में नरमी देखी जा रही है। शाम को ब्रेंट क्रूड की कीमत 1.27 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73.29 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमत 1.29 प्रतिशत की कमी के साथ 70.38 डॉलर प्रति बैरल तक आ गई है।
कच्चे तेल में तेजी का कारण इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता संघर्ष है, जिससे आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
एमके ग्लोबल की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान प्रतिदिन लगभग 3.3 मिलियन बैरल (एमबीपीडी) कच्चे तेल का उत्पादन करता है और लगभग 1.5 एमबीपीडी का निर्यात करता है, जिसमें चीन 80 प्रतिशत के साथ मुख्य आयातक है। ईरान होर्मुज स्ट्रेट के उत्तरी किनारे पर स्थित है, जहां से दुनिया में 20 एमबीपीडी से अधिक कच्चे तेल का व्यापार होता है।
होर्मुज स्ट्रेट मध्य-पूर्व का एक महत्वपूर्ण चोक प्वाइंट है। इस मार्ग से सऊदी अरब और यूएई आदि भी शिपिंग करते हैं और पहले भी ईरान ने इसे बंद करने की चेतावनी दी है।