क्या हमारी अर्थव्यवस्था विश्वास-आधारित शासन से नई ऊंचाइयों को छू सकती है? : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

सारांश
Key Takeaways
- संरचनात्मक सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नया आकार दिया है।
- यूपीआई ने डिजिटल भुगतान में क्रांति लाई है।
- भारत की गरीबी दर में महत्वपूर्ण कमी आई है।
- विश्वास-आधारित शासन से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
- भविष्य की आर्थिक नीतियों में सुधारों का प्रभाव स्पष्ट होगा।
नई दिल्ली, १४ जून (राष्ट्र प्रेस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के तहत पिछले ११ वर्षों में किए गए संरचनात्मक सुधारों ने भारत के व्यापक आर्थिक आधार को एक नया आकार दिया है।
वित्त मंत्री ने एक मीडिया लेख में उल्लेख किया कि भारत का सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरना कई सकारात्मक कारकों पर निर्भर करता है। यह अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों जैसे बैंकों, कॉरपोरेट्स, परिवारों, सरकार और एक्सटर्नल सेक्टर की बैलेंस शीट को मजबूत करने के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।
सीतारमण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "पिछले ११ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था का 'ट्विन डेफिसिट प्रॉब्लम से फाइव-बैलेंस शीट लाभ' की दिशा में परिवर्तन पीएम मोदी के नेतृत्व में ठोस नीतिगत प्रयासों का परिणाम है।"
उन्होंने कहा कि "जब हम २०१४ में सत्ता में आए, तो हमारी प्राथमिकता विकास को पुनर्जीवित करना था। जीएसटी, आईबीसी, आरईआरए और महामारी के दौरान, पीएलआई योजना और ईसीएलजीएस जैसे संरचनात्मक सुधार लागू किए गए, ताकि क्रेडिट-योग्य एमएसएमई को कोरोना से उबरने में मदद मिल सके।"
वित्त मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष २०१३-१४ में पूंजी निवेश जीडीपी के १.७ प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष २०२४-२५ में ३.२ प्रतिशत हो गया।
पिछले ११ वर्षों में, ८८ हवाई अड्डों का संचालन किया गया, ३१,००० किलोमीटर रेल पटरियां बिछाई गईं, मेट्रो नेटवर्क का चार गुना से अधिक विस्तार किया गया, बंदरगाह की क्षमता दोगुनी की गई और राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई ६० प्रतिशत बढ़ गई।
सीतारमण ने भारत में गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण प्रगति की जानकारी भी साझा की। उन्होंने विश्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने पिछले दशक में अपनी अत्यधिक गरीबी दर को कम करने में सफलता प्राप्त की है। २०११-१२ में यह दर २७.१ प्रतिशत थी, जो २०२२-२३ में घटकर ५.३ प्रतिशत पर आ गई है।
वित्त मंत्री के अनुसार, यूपीआई द्वारा शुरू की गई डिजिटल भुगतान क्रांति से लेकर मुद्रा ऋण द्वारा उद्यमिता की लालसा तक, पिछले ११ वर्षों ने यह स्पष्ट किया है कि जब हम विश्वास-आधारित शासन को नियामक बोझ में कमी और सार्वजनिक वस्तुओं के विस्तार के साथ जोड़ते हैं, तो हमारी अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयों को छू सकती है।