क्या कृष्णा श्रॉफ ने ‘चीट मील्स’ को अलविदा कहा? ओवरईटिंग से बचने का मंत्र क्या है?

सारांश
Key Takeaways
- फिटनेस के लिए संतुलित सोच जरूरी है।
- चीट मील्स को अलविदा कहना एक नया दृष्टिकोण है।
- इन्ट्यूटिव ईटिंग से ओवरईटिंग से बचा जा सकता है।
- पसंदीदा भोजन को डाइट में शामिल करना बेहतर है।
- फिटनेस यात्रा में अनुभव के साथ बदलाव जरूरी है।
मुंबई, 16 जून (राष्ट्र प्रेस)। फिटनेस आइकन और उद्यमी कृष्णा श्रॉफ ने खुलासा किया है कि उन्होंने 'चीट मील्स' को अलविदा कह दिया है। इसके साथ ही उन्होंने इस विषय पर अपने विचार साझा किए हैं। कृष्णा ने ओवरईटिंग से बचने का एक महत्वपूर्ण मंत्र भी बताया है।
जहां बहुत से फिटनेस प्रेमी हफ्ते में एक बार चीट मील्स को मानसिक रीसेट के रूप में देखते हैं और इसे अपनाने की सलाह देते हैं, वहीं कृष्णा का इस दृष्टिकोण के प्रति विचार बिल्कुल भिन्न है।
उन्होंने पारंपरिक चीट मील नियमों की जगह इन्ट्यूटिव ईटिंग को अपनाया है। उनका कहना है कि फिटनेस केवल नियमों और पुरस्कारों के चक्र पर निर्भर नहीं होनी चाहिए, बल्कि खाने के साथ एक संतुलित संबंध बनाने पर भी ध्यान देना चाहिए।
कृष्णा ने कहा, "अब मेरी जिंदगी में कोई चीट मील डे नहीं होता। जब मैंने अपनी फिटनेस यात्रा शुरू की थी, तब मैं यह नियम अपनाती थी कि हफ्ते में एक बार चीट मील लिया जाए। लेकिन अब जब मैं इस सफर में कुछ आगे बढ़ चुकी हूं, तो मुझे यह समझ में आया है कि ऐसा करना मुझे मेरी प्रगति से दो कदम पीछे ले जाता है। यह करना जरूरी नहीं है।"
उनका मानना है कि यह फिटनेस के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने आगे कहा, “मैं अब अपने पसंदीदा भोजन को ही अपनी डाइट में शामिल कर लेती हूं। मैं इसे डाइट भी नहीं कहूंगी, क्योंकि मैं सच में डाइटिंग नहीं कर रही। मैं अब इन्ट्यूटिव ईटिंग कर रही हूं और यह एक अभ्यास की तरह है। जैसे-जैसे इस क्षेत्र में अनुभव बढ़ता है, वैसे-वैसे आप इसे बेहतर तरीके से कर सकते हैं। इसलिए मैं अपने पसंदीदा भोजन को अपने खाने में शामिल कर लेती हूं, ताकि मुझे कभी ओवर-ईटिंग की इच्छा न हो और फिर पछतावा महसूस न हो कि मैंने अपनी मेहनत पर पानी फेर दिया। इसे आप भी अपनी जिंदगी में अपना सकते हैं!"