क्या स्वस्थ रहने के लिए आदर्श आहार अपनाना आवश्यक है?

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क्या स्वस्थ रहने के लिए आदर्श आहार अपनाना आवश्यक है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि आपके खानपान की आदतें आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं? जानें आयुर्वेद के अनुसार आदर्श आहार और जीवनशैली के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में। यह लेख आपको उन आदतों से अवगत कराएगा, जो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं।

Key Takeaways

  • आयुर्वेद के अनुसार संतुलित आहार का पालन करें।
  • भोजन को धीरे-धीरे और चबा-चबाकर खाएं।
  • दूध और मछली को एक साथ न खाएं।
  • अत्यधिक भोजन से बचें।
  • नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।

नई दिल्ली, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। जब हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने की बात करते हैं, तो हमारी खानपान की आदतें इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद के अनुसार, एक संतुलित आहार स्वास्थ्य और संतुलन के लिए बेहद जरूरी है।

भोजन केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी एक मूलभूत तत्व है। चरक संहिता में कहा गया है कि भोजन ही जीवन का आधार है और एक आदर्श आहार से संतोष, पोषण, बल और मेधा की प्राप्ति होती है। यह केवल बीमारियों का उपचार नहीं करता, बल्कि जीवनशैली, आहार, दिनचर्या और मानसिक व्यवहार पर भी ध्यान केंद्रित करता है। कुछ चीजें और आदतें ऐसी हैं जो हानिकारक मानी गई हैं और इन्हें "निषेध" कहा गया है।

चरक संहिता में उन खाद्य पदार्थों के संयोजन के बारे में बताया गया है, जिनका एक साथ सेवन नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए, दूध और मछली का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए, क्योंकि दूध ठंडा और मछली गर्म होती है। भोजन को धीरे-धीरे और चबा-चबाकर खाना चाहिए; जल्दी-जल्दी खाने से पाचन ठीक से नहीं होता। भोजन को बार-बार गर्म करके नहीं खाना चाहिए, इससे पोषण तत्व कम हो जाते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है।

सुश्रुत संहिता के अनुसार, अत्यधिक भोजन करना, दिन में सोना, देर रात तक जागना जैसी आदतें वर्जित मानी गई हैं। यह कफ को बढ़ाते हैं, जिससे मोटापा और एलर्जी होती है। रात में जागने से फैट, मानसिक तनाव, अनिद्रा और थकावट जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। खाने के तुरंत बाद सोना भी पाचन शक्ति को कमजोर करता है।

आयुर्वेद के अनुसार, क्रोध, चिंता, ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाएं शरीर और मन पर बुरा असर डालती हैं। ये शरीर में विष की तरह फैल कर वात-पित्त-कफ को बढ़ाती हैं। सुश्रुत संहिता में कहा गया है कि अत्यधिक काम, नींद की कमी और मानसिक तनाव से बचना चाहिए, क्योंकि ये मानसिक और भावनात्मक समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।

13 प्रकार के प्राकृतिक वेग जैसे मल, मूत्र, छींक, जम्हाई, आंसू आदि का रोकना निषेध माना गया है। इन्हें रोकने से शरीर में गंभीर रोग हो सकते हैं जैसे कि सिरदर्द, हृदय रोग, त्वचा रोग आदि।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि स्वस्थ जीवन के लिए सही खानपान और आदतें आवश्यक हैं। आयुर्वेद में दिए गए निर्देशों का पालन करना न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है, बल्कि मानसिक संतुलन भी सुनिश्चित करता है।
NationPress
24/06/2025

Frequently Asked Questions

आदर्श आहार क्या है?
आदर्श आहार वह होता है जो शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करता है और स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होता है।
क्या दूध और मछली एक साथ खा सकते हैं?
नहीं, दूध और मछली का एक साथ सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
सुश्रुत संहिता में क्या कहा गया है?
सुश्रुत संहिता में भोजन करने की सही आदतों और वर्जित व्यवहारों के बारे में जानकारी दी गई है।