क्या अमेरिका 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता और 'मेक इन इंडिया' पहल से सीख सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- ऑपरेशन सिंदूर ने स्वदेशी रक्षा प्रणालियों की क्षमता को साबित किया।
- मेक इन इंडिया ने भारत के रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया।
- अमेरिका को रक्षा सुधारों में तत्काल बदलाव की आवश्यकता है।
- भारत ने घातकता के भौतिकी में विशेषज्ञता हासिल की है।
- पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य श्रेष्ठता स्पष्ट है।
वाशिंगटन, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों ने भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता पर ध्यान देते हुए सुझाव दिया है कि वाशिंगटन को नई दिल्ली की रणनीतियों से सीख लेना चाहिए और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार रक्षा विनिर्माण प्रक्रियाओं में बदलाव करने चाहिए।
स्मॉल वार्स जर्नल (एसडब्ल्यूजे) में अपने विश्लेषण में, जिसका शीर्षक है 'भारत की जागृति की पुकार: अमेरिकी रक्षा सुधार आधुनिक युद्ध की गति से क्यों मेल खाना चाहिए', प्रमुख अमेरिकी रक्षा विश्लेषक जॉन स्पेंसर और न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज के पूर्व अध्यक्ष एवं सीईओ विन्सेंट वियोला, जो 101वें एयरबोर्न डिवीजन में भी कार्य कर चुके हैं, ने भारत को 'घातकता के भौतिकी का मास्टर' बताया, जिससे अमेरिका बहुत कुछ सीख सकता है।
विश्लेषकों ने यह बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका को अपने रक्षा सुधारों में तात्कालिक और व्यापक बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज के युद्ध और आने वाले और भी जटिल संघर्षों को ब्यूरोक्रेसी के माध्यम से नहीं जीता जा सकता, बल्कि इसके लिए तेजी से सोचने, निर्णय लेने, निर्माण करने और लड़ने वाले लोगों की आवश्यकता है।
उन्होंने लिखा, 'भारत ने यह साबित कर दिया है कि यह कैसा दिखता है।'
मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट के शहरी युद्ध अध्ययन के अध्यक्ष स्पेंसर और वियोला ने भारत को एक 'कम्पेलिंग मॉडल' बताया और बताया कि कैसे 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई 'मेक इन इंडिया' पहल ने भारत के रक्षा क्षेत्र में सुधार लाने में एक क्रांतिकारी कदम उठाया, जिससे एक दशक बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारी निवेश का परिणाम देखने को मिला।
विशेषज्ञों ने अपनी एसडब्ल्यूजे लेख में लिखा, 'ऑपरेशन सिंदूर' केवल सीमा पार आतंकवादी हमले का त्वरित और सटीक सैन्य जवाब नहीं था, बल्कि यह एक रणनीतिक मोड़ था। चार दिनों के भीतर, भारत ने स्वदेशी विकसित रक्षा प्रणालियों और उपकरणों का उपयोग करते हुए सीमा पार के लक्ष्यों पर सटीकता, गति और प्रभाव के साथ हमला किया।
उन्होंने आगे कहा, 'भारत की इस सफलता ने वायुशक्ति से कहीं अधिक स्थायी चीज को प्रदर्शित किया। इसने राष्ट्रीय रक्षा सिद्धांत को मान्यता दी जो कुशल घरेलू औद्योगिक शक्ति पर आधारित है। और सबसे महत्वपूर्ण बात, इसने अपने रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी को एक स्पष्ट संदेश दिया। पाकिस्तान, जो हथियारों और युद्धक सिद्धांतों में चीन पर निर्भर था, पूरी तरह से परास्त हो गया।'
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों, एआई-एकीकृत एयर डिफेंस कंट्रोल आकाशतीर सिस्टम, ड्रोन और लंबी दूरी के स्वायत्त हथियारों की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, विश्लेषकों ने अनुमान लगाया कि ये प्रणालियां साधारण प्रोटोटाइप नहीं थीं, बल्कि वास्तविक युद्ध में तैनात, परीक्षण और प्रमाणित की गई थीं।
दोनों ने कहा कि पाकिस्तान के आसमान में भारत ने न केवल दबदबा बनाया, बल्कि क्षेत्रीय प्रतिरोध को भी नई परिभाषा दी।
उन्होंने लिखा, 'भारत की रक्षा पूंजीगत खरीद अब घरेलू स्रोतों से 30 प्रतिशत से बढ़कर 65 प्रतिशत हो चुकी है, और इस दशक के अंत तक इसे 90 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य है।'
विशेषज्ञों ने अमेरिका से अपनी रक्षा औद्योगिक शक्ति को पुनर्जीवित करने और मारक क्षमता के भौतिकी में महारत हासिल करने का आग्रह किया, साथ ही स्थायी, तैनाती योग्य शिक्षण दल स्थापित करने का आह्वान किया।
टॉप अर्बन वॉरफेयर एक्सपर्ट्स का मानना है, 'इन टीमों को आगे बढ़कर काम करना होगा। अमेरिका को अपने रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को दुनिया में सबसे कुशल, अनुकूलनीय और प्रभावशाली बनाना होगा।'