बिहार चुनाव: वैशाली सीट का ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व क्या है?

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बिहार चुनाव: वैशाली सीट का ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व क्या है?

सारांश

वैशाली, एक ऐतिहासिक भूमि, ने लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया एवं जैन एवं बौद्ध धर्म को महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह विधानसभा सीट अपने ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व के लिए जानी जाती है। जानिए इसके जातीय समीकरण और चुनावी इतिहास के बारे में।

Key Takeaways

  • वैशाली का ऐतिहासिक महत्व और लोकतंत्र की नींव।
  • जैन और बौद्ध धर्म का योगदान।
  • जातीय समीकरणों का राजनीति पर प्रभाव।
  • 16 चुनावों का इतिहास और जेडीयू की बढ़त।
  • 2024 में जनसंख्या के आंकड़े।

पटना, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार का वैशाली, वह धरती जिसने विश्व को लोकतंत्र का पहला पाठ पढ़ाया, जैन धर्म को उसका अंतिम तीर्थंकर दिया और बौद्ध धर्म को उसका अंतिम उपदेश। वैशाली जिले की यह विधानसभा सीट अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक महत्व के कारण एक विशेष पहचान रखती है। महाभारत काल से जुड़े संदर्भों में उल्लेखित यह क्षेत्र लगभग 600 ईसा पूर्व विश्व का पहला गणराज्य बना, जहां चुने हुए प्रतिनिधियों की सभा और सुशासन व्यवस्था थी।

यह वही भूमि है जहां भगवान महावीर का जन्म हुआ और गौतम बुद्ध ने अपना अंतिम प्रवचन दिया। यहां की प्रसिद्ध नगरवधू अंबपाली ने बुद्ध के मार्ग का अनुसरण कर संन्यास लिया, जिससे यह भूमि बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल हुई। वैशाली का नाम राजा विशाल के नाम पर पड़ा, जिन्होंने यहां एक विशाल किला बनवाया था, जिसके अवशेष आज भी इतिहास की गवाही देते हैं। लिच्छवी वंश ने वैशाली पर शासन किया और इसे नेपाल की पहाड़ियों तक विस्तारित किया। इसे एशिया का पहला गणराज्य राज्य माना जाता है।

बुद्ध कथाओं में उल्लेख है कि यहां लिच्छवी कबीले के 7,707 राजा शासन करते थे। बाद में मगध के राजा अजातशत्रु ने वैशाली पर अधिकार कर लिया और धीरे-धीरे यह क्षेत्र अपनी राजनीतिक महिमा खोने लगा। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म वैशाली के पास कुंडलपुर में हुआ था। उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता त्रिशला वैशाली के राजा चेतक की बहन थीं। 30 वर्ष की आयु में माता-पिता के निधन के बाद महावीर ने वैशाली में ही अशोक वृक्ष के नीचे तपस्या शुरू की और सांसारिक जीवन का त्याग किया।

वैशाली को साल 1972 में स्वतंत्र जिला घोषित किया गया। इससे पहले, यह मुजफ्फरपुर जिले का हिस्सा था। वर्तमान में यह हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। वैशाली विधानसभा सीट की स्थापना 1967 में हुई थी और तब से अब तक यहां 16 चुनाव हो चुके हैं। शुरुआती दशकों में यह सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही। पार्टी ने पांच बार जीत हासिल की, लेकिन 2000 के बाद क्षेत्रीय दलों ने अपना दबदबा कायम किया। पिछले दो दशकों में जेडीयू ने यहां लगातार पांच बार जीत दर्ज की है।

2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार सिद्धार्थ पटेल ने कांग्रेस प्रत्याशी संजीव सिंह को हराकर सीट बरकरार रखी। एनडीए गठबंधन की मजबूती और नीतीश कुमार की विकासवादी छवि ने जेडीयू को यहां लगातार बढ़त दिलाई, हालांकि कांग्रेस और राजद यहां धीरे-धीरे अपनी पकड़ बनाने में जुटी हैं।

वैशाली ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता नहीं के बराबर हैं। जातीय समीकरण इस सीट की राजनीति का आधार हैं। यहां कुल जनसंख्या में लगभग 20.47 फीसदी अनुसूचित जाति (एससी) और 12.8 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। यादव, कुर्मी और ब्राह्मण समुदाय भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इन समूहों की राजनीतिक निष्ठा अक्सर चुनाव परिणाम तय करती है।

2024 में चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,68,745 है, जिसमें 3,02,107 पुरुष और 2,66,638 महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा, कुल मतदाताओं की संख्या 3,45,163 है, जिनमें 1,80,673 पुरुष, 1,64,476 महिलाएं और 14 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।

Point of View

जो अपने ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व के लिए जानी जाती है, भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां के जातीय समीकरण और राजनीतिक बदलाव इस क्षेत्र की राजनीति को प्रभावित करते हैं। यह सीट न केवल बिहार, बल्कि सम्पूर्ण देश के लिए एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
NationPress
12/10/2025

Frequently Asked Questions

वैशाली का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
वैशाली विश्व का पहला गणराज्य बना और यह जैन तथा बौद्ध धर्म के लिए महत्वपूर्ण स्थल है।
वैशाली विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास क्या है?
यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है, लेकिन 2000 के बाद क्षेत्रीय दलों का दबदबा बढ़ा।
क्या वैशाली में जातीय समीकरण महत्वपूर्ण हैं?
जी हां, यहां अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वैशाली की जनसंख्या कितनी है?
2024 में जनसंख्या 5,68,745 है, जिसमें पुरुष और महिलाएं शामिल हैं।
इस क्षेत्र में मुख्य राजनीतिक दल कौन से हैं?
इस क्षेत्र में मुख्य राजनीतिक दल जेडीयू, कांग्रेस और राजद हैं।