क्या बिहार विधानसभा चुनाव में राजापाकर सीट पर कड़ा मुकाबला होगा? पासवान-रविदास वोटर होंगे निर्णायक?

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क्या बिहार विधानसभा चुनाव में राजापाकर सीट पर कड़ा मुकाबला होगा? पासवान-रविदास वोटर होंगे निर्णायक?

सारांश

बिहार विधानसभा चुनाव में राजापाकर सीट पर संभावित कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। इस सीट के पासवान और रविदास समुदाय के मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जानें इस क्षेत्र की राजनीतिक और धार्मिक विशेषताओं के बारे में।

Key Takeaways

  • राजापाकर विधानसभा क्षेत्र हाजीपुर (एससी) लोकसभा का हिस्सा है।
  • यह क्षेत्र कृषि केंद्रित है, जिसमें धान, गेहूं और मक्का की खेती होती है।
  • यहां के धार्मिक स्थल जैसे बुद्धेश्वर नाथ मंदिर और अभिषेक पुष्करणी की महत्ता है।
  • पासवान और रविदास समुदाय के मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
  • राजनीतिक दृष्टि से यह क्षेत्र हमेशा सक्रिय रहा है।

पटना, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजापाकर विधानसभा क्षेत्र हाजीपुर (एससी) लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है और वैशाली जिले के राजापाकर सामुदायिक विकास खंड का मुख्यालय भी है। प्रशासनिक दृष्टि से यह महुआ अनुमंडल का हिस्सा है।

राजापाकर गंडक और गंगा जैसी प्रमुख नदियों के निकट स्थित है। यहां का भूभाग पूरी तरह समतल और उपजाऊ है, जिसके कारण खेती-बाड़ी यहां की प्रमुख आर्थिक गतिविधि है। धान, गेहूं और मक्का इस क्षेत्र की मुख्य फसलें हैं। ग्रामीण जीवन और कृषि इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।

राजापाकर क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से भी काफी प्रसिद्ध है। सहदेई बुजुर्ग पंचायत के वार्ड नंबर 14 में स्थित बुद्धेश्वर नाथ मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। वहीं, इस क्षेत्र में स्थित अभिषेक पुष्करणी एक अत्यंत महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है। ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, यह पवित्र सरोवर है, जहां लिच्छवि शासकों का अभिषेक (राजतिलक) किया जाता था। इसलिए यह ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है।

राजापाकर, वैशाली और सारण जिलों के संगम पर स्थित है। यह हाजीपुर जिला मुख्यालय से लगभग 17 किमी, सारण जिले के सोनपुर से 18 किमी, महनार बाजार से 23 किमी, और लालगंज से 25 किमी की दूरी पर है। संभागीय मुख्यालय मुजफ्फरपुर 50 किमी और राज्य की राजधानी पटना 40 किमी की दूरी पर स्थित हैं।

राजापाकर विधानसभा क्षेत्र का गठन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद किया गया था। यह अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीट है। इसमें तीन प्रमुख सामुदायिक विकास खंड राजापाकर, देसरी और सहदेई बुजुर्ग शामिल हैं।

राजनीतिक दृष्टि से यह सीट हमेशा से सक्रिय रही है। 2010 में इस सीट से जदयू के संजय कुमार पहले विधायक बने। 2015 में राजद के शिवचंद्र राम ने जीत दर्ज की। 2020 के चुनाव में यह सीट महागठबंधन के हिस्से के रूप में कांग्रेस के खाते में आई, जहां से प्रतिमा दास ने जदयू के महेंद्र राम को हराया।

इस क्षेत्र में पासवान और रविदास समुदायों की निर्णायक भूमिका रही है।

Point of View

जो इस चुनाव को और भी रोचक बनाता है।
NationPress
15/10/2025

Frequently Asked Questions

राजापाकर विधानसभा क्षेत्र कब बना?
राजापाकर विधानसभा क्षेत्र का गठन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद किया गया था।
राजापाकर क्षेत्र की मुख्य फसलें कौन सी हैं?
यहां की मुख्य फसलें धान, गेहूं और मक्का हैं।
राजापाकर में प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कौन सा है?
बुद्धेश्वर नाथ मंदिर और अभिषेक पुष्करणी यहाँ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं।
राजापाकर की राजनीतिक स्थिति क्या है?
यह सीट हमेशा से राजनीतिक दृष्टि से सक्रिय रही है और विभिन्न पार्टियों द्वारा जीत हासिल की गई है।
इस क्षेत्र में कौन से समुदाय महत्वपूर्ण हैं?
पासवान और रविदास समुदाय इस क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।