क्या देवेन वर्मा भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े कॉमेडी उस्ताद थे?
सारांश
Key Takeaways
- देवेन वर्मा ने भारतीय सिनेमा में कॉमेडी को नई पहचान दी।
- उन्होंने कभी हीरो बनने की इच्छा नहीं जताई।
- उनकी फिल्मों में अद्भुत टाइमिंग और हास्य देखने को मिलता है।
- देवेन वर्मा के संवाद आज भी लोगों में हंसी बिखेरते हैं।
- उनकी शादी रुक्मिणी से हुई थी, जो एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं।
मुंबई, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देवेन वर्मा भारतीय सिनेमा के एक प्रमुख सितारे थे, जिन्होंने तीन फिल्मफेयर पुरस्कार और दो सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन का खिताब जीता। उनके बड़े पर्दे पर अद्वितीय टाइमिंग ने दर्शकों को घंटों तक बांधे रखा। कॉमेडी के इस उस्ताद ने कभी हीरो बनने की इच्छा नहीं की और लोगों को हंसाना अपने कर्तव्य के रूप में लिया।
23 अक्टूबर 1937 को पुणे में जन्मे देवेन वर्मा का असली नाम देवेन वरुण वर्मा था। उनके पिता गुजराती और मां मराठी थीं, जिससे उनमें दोनों संस्कृतियों का बेहतरीन समागम था। पुणे के न्यू इंग्लिश स्कूल और नौरोसजी वाडिया कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद वे फिल्म उद्योग में आए। पहले कुछ मराठी फिल्मों में काम करने के बाद, उन्हें हिन्दी सिनेमा में पहचान मिली।
देवेन वर्मा ने 1961 में यश चोपड़ा की पहली फिल्म 'धर्मपुत्र' से बॉलीवुड में कदम रखा और अपने करियर में करीब 200 फिल्मों में काम किया। लेकिन वे कभी हीरो नहीं बने, उनका मानना था कि वे लोगों को हंसाने के लिए बने हैं।
70 और 80 के दशक में, देवेन वर्मा का नाम सुनते ही दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी। 'अंगूर', 'चोरी मेरा काम', 'खट्टा मीठा', 'गोलमाल', 'रंग बिरंगी', 'किसी से न कहना', 'दिल', 'आंखें', और 'अंदाज अपना अपना' जैसी फिल्में उनकी अद्भुत कॉमेडी का उदाहरण हैं। संजीव कुमार के साथ उनकी जोड़ी जादू का काम करती थी।
वे केवल अभिनेता नहीं थे, बल्कि एक कुशल निर्देशक भी थे। उन्होंने 'बड़ा भाई', 'दाना पानी', 'चटपटी', और 'भालू' जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। उनकी सबसे प्रसिद्ध निर्देशित फिल्म 'भालू' (1980) थी, जिसमें उन्होंने स्वयं भी अभिनय किया था।
देवेन वर्मा ने तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीते, जिनमें दो बार सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन (1976 - चोरी मेरा काम, 1979 - चोर के घर चोर) और एक बार सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता (1983 - अंगूर) का पुरस्कार शामिल है।
उनकी निजी जिंदगी भी दिलचस्प थी। 1969 में उन्होंने अपनी सह-कलाकार रुक्मिणी से विवाह किया, जो पद्मिनी कोल्हापुरी की बड़ी बहन थीं। दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम किया और बाद में पुणे में बस गए।
जब हम 'अंगूर' या 'गोलमाल' में उनके संवाद सुनते हैं, तो लगता है जैसे वह आज भी हमारे बीच हैं। देवेन वर्मा भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी हंसी आज भी हमारे साथ है। 2 दिसंबर 2014 को 77 वर्ष की आयु में उन्होंने पुणे में अंतिम सांस ली।