क्या झारखंड शराब घोटाले में पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश की गिरफ्तारी है एक नया मोड़?

सारांश
Key Takeaways
- अमित प्रकाश की गिरफ्तारी से घोटाले की जांच में नया मोड़ आया है।
- सरकार को 38 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।
- झारखंड में शराब आपूर्ति नीति में बदलाव से छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट को लाभ मिला।
- यह छठी गिरफ्तारी है, जिसमें कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
रांची, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के शराब घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने पूर्व उत्पाद आयुक्त सेवानिवृत्त आईएएस अमित प्रकाश को मंगलवार की शाम गिरफ्तार किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने विभागीय मंत्री को बिना सूचित किए दो शराब कंपनियों को बकाया भुगतान किया।
अमित प्रकाश झारखंड राज्य बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) के महाप्रबंधक के रूप में भी कार्यरत रहे और 31 दिसंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे।
उन पर आरोप है कि उन्होंने विभागीय मंत्री को जानकारी दिए बिना झारखंड में वर्ष 2022 में थोक शराब आपूर्ति करने वाली छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों को नवंबर 2024 में करीब 11 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया भुगतान कर दिया था। यह भुगतान तब किया गया था, जब इनमें से एक कंपनी के खिलाफ जांच चल रही थी।
झारखंड शराब घोटाले में यह छठी गिरफ्तारी है। इससे पहले एसीबी ने उत्पाद विभाग के पूर्व सचिव आईएएस विनय कुमार चौबे, संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह, झारखंड राज्य बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के वित्त महाप्रबंधक सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक सुधीर कुमार और शराब दुकानों के लिए मैनपावर सप्लाई करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विसेज प्रा. लि. के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार को गिरफ्तार किया था।
एसीबी की अब तक की जांच में झारखंड में हुए शराब घोटाले में सरकार को 38 करोड़ से अधिक का नुकसान होने की बात सामने आई है। जांच का दायरा बढ़ने पर यह रकम और बढ़ने का अनुमान है। झारखंड के शराब घोटाले की जड़ें छत्तीसगढ़ से जुड़ी हैं, जहां शराब घोटाले में स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के अफसरों और कई बड़े कारोबारियों की भूमिका सामने आ चुकी है।
आरोप है कि झारखंड में वर्ष 2022 में लागू हुई उत्पाद नीति में कुछ बदलाव ऐसे किए गए, जिससे छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के लोगों को लाभ मिला। छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के सहयोग से सिंडिकेट ने मिलकर झारखंड में शराब की सप्लाई और होलोग्राम सिस्टम के ठेके हासिल किए, जिससे राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ।