क्या अमेरिका में मखाना की कीमतें आसमान छू रही हैं? 25 ग्राम का दाम चार डॉलर
सारांश
Key Takeaways
- मखाना की कीमत अमेरिका में 2 डॉलर से बढ़कर 4 डॉलर हो गई है।
- अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लागू है।
- भारतीय निर्यातक नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों की तलाश कर रहे हैं।
- भारत मखाना का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जिसकी वैश्विक उत्पादन में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
- केंद्र सरकार ने मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा की है।
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान में मखाना एक सुपरफूड के रूप में उभर कर सामने आया है। न केवल भारत में, बल्कि अन्य देशों में भी मखाने की मांग तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका में मखाना (फॉक्सनट) की कीमतें हाल के महीनों में तेजी से बढ़ी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 25 ग्राम मखाने का पैक, जो पहले 2 डॉलर में मिलता था, अब बढ़कर 4 डॉलर हो गया है। इसके पीछे एक मुख्य कारण राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर लगाए गए उच्च टैरिफ हैं, जिससे अमेरिकी ग्राहकों का बजट प्रभावित हुआ है।
अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट बताती है कि भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के कारण अमेरिका को होने वाला निर्यात गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। कई भारतीय निर्यातकों की अमेरिका में भेजी जाने वाली खेप में लगभग 40 प्रतिशत की कमी आई है।
हालांकि, यह भी कहा गया है कि भारतीय मखाना निर्यातकों ने इस मुश्किल के बीच वैकल्पिक बाजारों की तलाश शुरू कर दी है। अमेरिका में रहने वाले कोलकाता के एक व्यापारी ने बताया कि महामारी से पहले उनका मासिक किराना खर्च 500 डॉलर था, जो अब बढ़कर 900 डॉलर हो गया है, जिसमें मखाने जैसी वस्तुओं के दामों में वृद्धि एक महत्वपूर्ण कारण है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि संकट के बावजूद, भारतीय मखानों की मांग नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ रही है। स्पेन और दक्षिण अफ्रीका जैसे नए बाजारों से मांग आ रही है, जहां मखाने के स्वास्थ्य लाभों के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
वर्ष 2024-25 में भारत ने लगभग 800 मीट्रिक टन मखाने का निर्यात जर्मनी, चीन, अमेरिका और मध्य पूर्व जैसे बाजारों में किया, जिसमें अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 50 प्रतिशत रही।
शक्ति सुधा एग्रो वेंचर्स के सत्यजीत सिंह, जिनकी कंपनी भारत के कुल मखाना निर्यात का लगभग आधा हिस्सा नियंत्रित करती है, ने कहा, “यह क्षेत्र अभी प्रारंभिक अवस्था में है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुख्य रूप से भारतीय प्रवासियों तक सीमित है। इसमें अपार संभावनाएं हैं और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।”
इस बीच, केंद्र सरकार ने हाल ही में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा की है, जिसके लिए प्रारंभिक तौर पर 1 अरब रुपये का प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य मूल्य श्रृंखला को संगठित करना, प्रशिक्षण देना, गुणवत्ता नियमन और निर्यात को बढ़ावा देना है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक देश है और वैश्विक उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी लगभग 80 प्रतिशत है। संसद को हाल ही में दी गई जानकारी के अनुसार, बिहार देश के मखाना उत्पादन का मुख्य केंद्र है, जहाँ से लगभग 85 प्रतिशत राष्ट्रीय उत्पादन होता है। दरभंगा मखाना की खेती और प्रोसेसिंग का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है।