क्या उद्धव और राज ठाकरे एक साथ आ सकते हैं? : संजय निरुपम

सारांश
Key Takeaways
- उद्धव और राज ठाकरे के बीच गठबंधन की संभावना बेहद कम है।
- संजय निरुपम ने दोनों की पार्टियों की स्थिति को कमजोर बताया।
- कांग्रेस और शरद पवार के साथ गठबंधन की कोशिशें विफल हो चुकी हैं।
- राजनीति में भाईचारे को लेकर बातें करना आसान, लेकिन वास्तविकता जटिल है।
- बयानबाजी पर संजय निरुपम का स्पष्ट दृष्टिकोण है।
मुंबई, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने की अटकलें तेज़ हो गई हैं। राजनीतिक हलकों में ये चर्चा हो रही है कि अगर दोनों भाई मिलकर आते हैं तो उनके गठबंधन को मजबूती मिलेगी। इस संदर्भ में शिवसेना नेता संजय निरुपम ने यह स्पष्ट किया है कि उद्धव और राज ठाकरे एक साथ नहीं आ सकते।
उन्होंने रविवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "मैंने हमेशा कहा है कि दोनों भाई (उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे) एक साथ नहीं आ सकते हैं। उद्धव ठाकरे की पार्टी काफी कमजोर हो चुकी है और उनका आधार पूरी तरह से बिखर गया है। पहले उन्होंने सोचा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन करके वे सुरक्षित रहेंगे, लेकिन कांग्रेस भी बर्बाद हो गई और केवल 16 सीटों पर सिमट गई। फिर उन्होंने शरद पवार के साथ गठबंधन करने का विचार किया, लेकिन अब शरद पवार भी 10 सीटों पर सिमट गए हैं। अब वे अपने भाई के साथ मिलकर उनकी पार्टी को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।
संजय निरुपम ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कोई गठबंधन होने वाला है। ये सिर्फ मीडिया में बने रहने के लिए राजनीतिक चर्चा है।
ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस नेता नाना पटोले के वीडियो गेम वाले बयान पर उन्होंने कहा कि नाना पटोले का बयान बेहद आपत्तिजनक है। उन्हें इस गलती के लिए माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर को वीडियो गेम बताकर उन्होंने हमारे सैनिकों की बहादुरी और बलिदान का अपमान किया है। अगर वे माफी नहीं मांगते हैं, तो कांग्रेस को कार्रवाई करनी चाहिए और उन्हें पार्टी से निष्कासित करना चाहिए। अगर कार्रवाई नहीं होती है, तो इसके पीछे कांग्रेस का हाथ है।
शिवसेना नेता ने कहा कि यह पाकिस्तान परस्त लोग हैं। हिन्दुस्तान की भावना के खिलाफ ऐसे बयान देते हैं। आज स्थिति यह है कि ये पीएम मोदी से नफरत करने के चक्कर में देश का विरोध करने लगे हैं।