क्या लचित बोरफुकन की जयंती पर ओम बिरला और अमित शाह समेत कई प्रमुख नेताओं ने श्रद्धांजलि दी?

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क्या लचित बोरफुकन की जयंती पर ओम बिरला और अमित शाह समेत कई प्रमुख नेताओं ने श्रद्धांजलि दी?

सारांश

आज वीर लचित बोरफुकन की जयंती पर ओम बिरला और अमित शाह सहित कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। यह दिन हमें उनके अद्वितीय साहस और बलिदान की याद दिलाता है। उनके योगदान को समर्पित कई विकास परियोजनाएं भी शुरू की जा रही हैं।

Key Takeaways

  • लचित बोरफुकन का नेतृत्व असम की पहचान है।
  • उनकी जयंती पर कई नेता श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
  • उनके शौर्य और साहस ने उन्हें अमर बना दिया है।
  • उनकी विरासत को समर्पित विकास परियोजनाएं चल रही हैं।
  • लचित बोरफुकन ने भारतीय संस्कृति की रक्षा की थी।

नई दिल्ली, २४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अहोम साम्राज्य के अद्वितीय सेनापति और सराइघाट युद्ध के नायक वीर लचित बोरफुकन की जयंती आज मनाई जा रही है। इस विशेष अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत कई प्रमुख नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने वीर लचित बोरफुकन को श्रद्धांजलि देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "अपने शौर्य और साहस से उन्होंने सिद्ध किया कि स्वाभिमान और एकता के सामने कोई साम्राज्य नहीं टिकता। लचित बोरफुकन जी असम और पूर्वोत्तर के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत के गौरव हैं। उनका संघर्ष करोड़ों देशवासियों को प्रेरणा देता है।"

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी लचित बोरफुकन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए 'एक्स' पर लिखा, "उनकी अटूट देशभक्ति, कभी न हारने वाली बहादुरी और बेमिसाल मिलिट्री लीडरशिप ने न केवल असम और हमारे बाकी नॉर्थईस्ट को मुगलों के हमले से बचाया, बल्कि इस इलाके की कीमती कल्चरल विरासत को भी सुरक्षित रखा। उनका जीवन सदैव देशभक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।"

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिखा, "मुगल आक्रांताओं के दमन के विरुद्ध अद्भुत साहस और दूरदर्शी रणनीति से मातृभूमि और संस्कृति की रक्षा करने वाले महान सेनानायक लचित बोरफुकन को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। आपका जीवन और त्याग ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ के आदर्श को सजीव करता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।"

इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने लचित बोरफुकन को साहस का प्रतीक और असम के गौरव की अमर पहचान बताया। हिमंत ने लिखा, "उनकी वीरता और नेतृत्व की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, हम उनके नाम पर पुलिस अकादमी, मेमोरियल, स्कूल पाठ्यक्रम, और विश्वस्तरीय प्रशिक्षण संस्थान स्थापित कर रहे हैं। उनकी वीरता की विरासत आज भी हमारी पीढ़ियों को प्रेरित करती है। लचित दिवस पर हम उन वीर को नमन करते हैं जिन्होंने राष्ट्र को झुकने नहीं दिया।"

Point of View

जब हम वीर लचित बोरफुकन की जयंती मना रहे हैं, यह आवश्यक है कि हम उनके योगदान को समझें। उन्होंने न केवल असम की संस्कृति की रक्षा की, बल्कि उन्होंने संपूर्ण भारत को एकता और साहस का पाठ भी सिखाया।
NationPress
24/11/2025

Frequently Asked Questions

लचित बोरफुकन कौन थे?
लचित बोरफुकन अहोम साम्राज्य के महान सेनापति थे, जिन्होंने सराइघाट युद्ध में मुगलों को हराया।
लचित बोरफुकन की जयंती कब मनाई जाती है?
उनकी जयंती हर साल २४ नवंबर को मनाई जाती है।
लचित बोरफुकन का योगदान क्या था?
उन्होंने असम की संस्कृति को बचाने और मुगलों के हमले से अपने क्षेत्र की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस वर्ष की जयंती पर कौन-कौन से नेता श्रद्धांजलि दी?
इस वर्ष ओम बिरला, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं ने श्रद्धांजलि दी।
क्या योजनाएँ लचित बोरफुकन के नाम पर बनाई जा रही हैं?
उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए पुलिस अकादमी, मेमोरियल और अन्य संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं।
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