क्या नाड़ीशोधन प्राणायाम से मन को शांति और एकाग्रता मिलेगी?
सारांश
Key Takeaways
- नाड़ीशोधन प्राणायाम से श्वास का संतुलन बनता है।
- यह तनाव और चिंता को कम करता है।
- प्राणायाम से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- यह मानसिक स्थिरता और ध्यान को बढ़ाता है।
- प्राकृतिक और सहज श्वास लेना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज के व्यस्त जीवन में तन-मन को स्वस्थ बनाए रखना महत्वपूर्ण है और इसके लिए योग और प्राणायाम सबसे उपयोगी विकल्प हैं। नाड़ीशोधन प्राणायाम को सरलतम और प्रभावी तकनीकों में से एक माना जाता है। यह न केवल श्वास को संतुलित करता है, बल्कि मन-मस्तिष्क पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
योगाचार्य कहते हैं कि आज के तेज़ रफ़्तार वाले जीवन में यह प्राणायाम हर आयु वर्ग के लिए एक वरदान है। नियमित अभ्यास से मन में शांति और एकाग्रता का अनुभव होता है। नाड़ीशोधन प्राणायाम करने की विधि बहुत सरल है, जिसके बारे में मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा में विस्तृत जानकारी दी गई है।
अभ्यास के लिए किसी शांत स्थान पर सुखासन, पद्मासन या कुर्सी पर सीधे बैठें। दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बायीं नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें। फिर दाहिनी हाथ की अनामिका और कनिष्ठा उंगली से बायीं नासिका बंद कर दाहिनी नासिका से सांस बाहर छोड़ें। इसी क्रम को दोहराते रहें। एक चक्र पूरा होने पर दोनों नासिकाओं से सामान्य श्वास लें। शुरुआत में इसका अभ्यास 5 से 10 मिनट करना चाहिए।
नाड़ीशोधन के कई लाभ होते हैं। यह तनाव को कम करने में सहायक होता है और चिंता के स्तर को घटाता है। कफ दोष और सांस से संबंधित समस्याओं में राहत प्रदान करता है। इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी को शुद्ध करके शरीर में प्राण ऊर्जा का संतुलन बनाता है, जिससे मानसिक स्थिरता और ध्यान की शक्ति बढ़ती है। नियमित अभ्यास से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है और दिनभर ताजगी बनी रहती है।
खाली पेट सुबह का समय इसका अभ्यास करने के लिए सबसे उत्तम होता है। हालांकि कुछ सावधानियाँ भी बरतनी चाहिए। इस प्राणायाम का अभ्यास सहज और स्वाभाविक होना चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग या गंभीर नाक की समस्याओं वाले व्यक्तियों को योग प्रशिक्षक से सलाह लेनी चाहिए।