क्या सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को 10 बीआरएस विधायकों की अयोग्यता पर 3 महीने में फैसला लेने का निर्देश दिया?

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को 10 बीआरएस विधायकों की अयोग्यता पर 3 महीने में फैसला लेने का निर्देश दिया?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के 10 बीआरएस विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को तीन महीने का समय दिया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दल-बदल पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए हैं। जानिए इस मामले के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट का निर्देश विधानसभा अध्यक्ष के लिए महत्वपूर्ण है।
  • 10 बीआरएस विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता है।
  • दल-बदल से लोकतंत्र को खतरा हो सकता है।

नई दिल्ली, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। तेलंगाना में बीआरएस के 10 विधायकों की अयोग्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को तीन महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। ये सभी विधायक कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे, लेकिन तेलंगाना विधानसभा के अध्यक्ष ने इस विषय पर लंबे समय तक कोई निर्णय नहीं लिया।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए विधानसभा अध्यक्ष को यह स्पष्ट निर्देश दिया कि वह इन 10 बीआरएस विधायकों की अयोग्यता पर तीन महीने के भीतर निर्णय लें।

सुप्रीम कोर्ट ने 'दल-बदल' के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने कहा, "यह मुद्दा पूरे देश में चर्चा का विषय रहा है, और यदि इसे समय पर नहीं रोका गया, तो यह लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकता है।"

सुप्रीम कोर्ट ने संसद में कई नेताओं के भाषणों का उल्लेख किया। अदालत ने राजेश पायलट और देवेंद्रनाथ मुंशी जैसे सांसदों के विचारों का जिक्र करते हुए कहा कि विधायक या सांसद की अयोग्यता तय करने का अधिकार स्पीकर को इसलिए दिया गया है, ताकि अदालतों में समय बर्बाद न हो और मामले का समाधान जल्दी किया जा सके।

सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया गया कि अनुच्छेद 136 और 226 व 227 के तहत स्पीकर के निर्णयों पर न्यायिक समीक्षा की सीमाएं बहुत संकीर्ण हैं। यह भी कहा गया कि चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी पीठ के समक्ष लंबित है, इसलिए मौजूदा सुनवाई नहीं होनी चाहिए। अदालत ने इस पर अपनी टिप्पणी की।

इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए निर्देश दिया कि कथित रूप से सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल होने वाले 10 बीआरएस विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही "यथाशीघ्र और तीन महीने के भीतर" की जाए।

बीआरएस के नेता केटी रामाराव, पाडी कौशिक रेड्डी और केपी विवेकानंद ने याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें विधानसभा अध्यक्ष को लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

Point of View

NationPress
01/08/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को कब तक निर्णय लेने का निर्देश दिया?
सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को तीन महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
बीआरएस विधायकों की अयोग्यता का मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह मामला लोकतंत्र की नींव को प्रभावित कर सकता है और दल-बदल की प्रवृत्ति पर रोक लगाने का संकेत देता है।