क्या यमुना घाट पर छठ पूजा की तैयारियां तेज हो रही हैं?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में छठ पूजा की व्यापक तैयारियां चल रही हैं।
- जल गुणवत्ता की जांच की जा रही है।
- सरकार श्रद्धालुओं की सुविधा का ध्यान रख रही है।
- स्वच्छता और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- छठ पर्व आस्था और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है।
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आस्था का महापर्व छठ पूजा नजदीक है, और दिल्ली में यमुना नदी के किनारे छठ घाटों पर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। नए घाटों का निर्माण तेजी से किया जा रहा है, साथ ही जल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) लगातार पानी के सैंपल की जांच कर रहा है, ताकि व्रतियों को स्नान के दौरान किसी भी तरह की परेशानी न हो।
दिल्ली जल बोर्ड में कार्यरत अनिल मिश्रा ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि कालिंदी कुंज में यमुना के जल का समय-समय पर सैंपल लेकर उसकी जांच की जा रही है। हम पानी की गुणवत्ता के पैरामीटर चेक करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो कि यह स्नान के लिए उपयुक्त है। सैंपल को नियर ओखला लैब में भेजा जाता है, और सभी रिपोर्ट्स के आधार पर हम समन्वय करते हैं। वर्तमान में जल की गुणवत्ता स्नान के लिए ठीक है।
उन्होंने यह भी बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के कार्य में सुधार हुआ है।
बता दें कि बुधवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने छठ पर्व की तैयारियों के तहत वजीराबाद स्थित छठ घाटों का निरीक्षण किया और संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए। सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि श्रद्धा, आस्था और शुचिता के इस पर्व को लेकर दिल्ली सरकार उत्साहित है। सरकार का संकल्प है कि छठ व्रतधारियों को पूरा सम्मान और अपनापन मिले।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि छठ महापर्व के दौरान सरकार की ओर से श्रद्धालुओं को पूरी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि छठ पर्व पर प्रकृति के प्रति समर्पण हमें पर्यावरण की सुरक्षा का भी संदेश देता है। मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देशा था कि घाट पर स्वच्छता, प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा इंतजाम और भीड़ प्रबंधन की सभी तैयारियां समयबद्ध और व्यवस्थित ढंग से पूरी की जाएं, ताकि छठ पर्व के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि छठ पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन न होकर स्वच्छता, संस्कृति और सुशासन का प्रतीक बने। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभाव रूप से कार्यरत है कि हर श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के पूजा-अर्चना कर सके।