क्या सिर्फ 4 दिन तक जंक फूड खाने से याददाश्त कमजोर हो सकती है? अध्ययन

सारांश
Key Takeaways
- चार दिन तक जंक फूड का सेवन मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- फैटी जंक फूड से कॉग्निटिव डिसफंक्शन का खतरा बढ़ता है।
- ग्लूकोज की कमी से मस्तिष्क कोशिकाओं की सक्रियता बढ़ जाती है।
- इंटरमिटेंट फास्टिंग से याददाश्त में सुधार हो सकता है।
- स्वस्थ आहार मस्तिष्क स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
नई दिल्ली, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। क्या आप उन लोगों में से हैं जो प्री वीकेंड और पोस्ट वीकेंड सेलिब्रेशन के लिए जंक फूड का चुनाव करते हैं? यदि हाँ, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है! यदि आप चार दिन तक लगातार फैटी फूड का सेवन करते हैं, तो सावधान रहें क्योंकि यह आपके शरीर के साथ-साथ आपके ब्रेन को भी हानि पहुंचा सकता है। एक अध्ययन में बताया गया है कि इससे कॉग्निटिव डिसफंक्शन (सोचने-समझने की क्षमता में कमी) का खतरा बढ़ता है और धीरे-धीरे आपकी याददाश्त कमजोर होने लगती है।
अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय (यूएनसी) के शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि फैटी जंक फूड वजन बढ़ाने या आपको डायबिटीज का शिकार बनाने से पहले ही मस्तिष्क पर हमला करता है। इन खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन सोचने-समझने की क्षमता में नकारात्मक प्रभाव डालता है।
ये परिणाम हमें चेताते हैं कि हमें मोटापे और याददाश्त को कमजोर करने वाले कारकों पर ध्यान देना चाहिए, जिनमें पहले स्थान पर पाश्चात्य शैली के जंक फूड का नाम आता है।
न्यूरॉन पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्ष दर्शाते हैं कि हिप्पोकैम्पस में मस्तिष्क कोशिकाओं का एक विशेष समूह - जिसे सीसीके इंटरन्यूरॉन्स कहा जाता है - उच्च वसा वाला आहार खाने के बाद अत्यधिक सक्रिय हो जाता है। सीसीके इंटरन्यूरॉन्स की सक्रियता का कारण मस्तिष्क के ग्लूकोज ग्रहण करने की क्षमता में कमी होना है।
यूएनसी स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रमुख शोधकर्ता, प्रोफेसर जुआन सोंग ने कहा कि यह अतिसक्रियता हिप्पोकैम्पस द्वारा स्मृति प्रसंस्करण के तरीके को बाधित करती है। यह हाइपरएक्टिविटी उच्च वसा वाले आहार खाने के कुछ दिनों बाद तक भी जारी रहती है।
इस खोज से यह भी पता चला है कि पीकेएम2 नामक एक प्रोटीन इस समस्या को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन मस्तिष्क कोशिकाओं द्वारा ऊर्जा के उपयोग को नियंत्रित करता है।
यूएनसी न्यूरोसाइंस सेंटर के सदस्य सोंग ने कहा, "हम जानते थे कि आहार और मेटाबॉलिज्म मस्तिष्क स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन हमें उम्मीद नहीं थी कि हिप्पोकैम्पस में सीसीके इंटरन्यूरॉन्स पाए जाएंगे।"
सोंग ने आगे कहा, "हमें सबसे अधिक आश्चर्य इस बात का हुआ कि ग्लूकोज की कमी होने पर इन कोशिकाओं ने अपनी गतिविधि में तेजी से बदलाव किया, और यही बदलाव याददाश्त कमजोर करने के लिए पर्याप्त था।"
टीम ने ये परीक्षण चूहों पर किया। उन्हें उच्च वसा वाले जंक फूड पर रखा गया।
उच्च वसा वाला आहार खाने के चार दिन बाद, परिणामों से पता चला कि मस्तिष्क के स्मृति केंद्र में सीसीके इंटरन्यूरॉन्स असामान्य रूप से सक्रिय हो गए थे।
शोध यह भी दर्शाता है कि मस्तिष्क में ग्लूकोज के स्तर को बहाल करने से वास्तव में अतिसक्रिय न्यूरॉन्स शांत हो गए और चूहों की स्मृति संबंधी समस्याएं ठीक हो गईं।
अध्ययन यह संकेत करता है कि मोटापे से संबंधित न्यूरोडीजेनेरेशन रोकने और मस्तिष्क स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आहार में बदलाव और कुछ दवाएं सहायक सिद्ध हो सकती हैं।
रोचक बात यह है कि शोधकर्ताओं ने पाया कि उच्च वसा वाले आहार के बाद इंटरमिटेंट फास्टिंग से भी लाभ हो सकता है। इससे सीसीके इंटरन्यूरॉन्स सामान्य होते हैं और याददाश्त में सुधार होता है।