क्या चारा घोटाला में लालू की खुली आवाजाही में खामियां हैं?

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क्या चारा घोटाला में लालू की खुली आवाजाही में खामियां हैं?

सारांश

चारा घोटाले में पूर्व सीबीआई अधिकारी उपेंद्र नाथ बिस्वास ने लालू प्रसाद यादव की खुली आवाजाही पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सिस्टम के दोषों को उजागर किया है, जो जेल में बंद दोषियों को भी स्वतंत्रता देते हैं। क्या यह न्याय का मजाक है?

Key Takeaways

  • चारा घोटाला बिहार में हुआ एक बड़ा वित्तीय घोटाला है।
  • लालू प्रसाद यादव को जेल की सजा सुनाई गई थी।
  • पूर्व सीबीआई अधिकारी ने सिस्टम की खामियों की आलोचना की।
  • बिहार विधानसभा चुनावों से पहले यह मुद्दा महत्वपूर्ण है।
  • जमानत मिलने के बाद भी दोषियों की खुली आवाजाही एक चिंता का विषय है।

कोलकाता, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। चारा घोटाला मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को जेल की सलाखों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पूर्व सीबीआई अधिकारी उपेंद्र नाथ बिस्वास ने रविवार को कई महत्वपूर्ण खुलासे किए और सिस्टम की खामियों की आलोचना की।

उन्होंने उन खामियों पर प्रकाश डाला, जिसके कारण जेल में बंद एक दोषी को स्वास्थ्य कारणों से जमानत मिलने के बाद भी खुलेआम घूमने की अनुमति मिल गई।

84 वर्षीय सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी बिस्वास ने राष्ट्र प्रेस के साथ विशेष साक्षात्कार में, जेल की सजा सुनाए जाने के बावजूद लालू के राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।

बिस्वास ने कहा कि हमारी व्यवस्था पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। कानून के अनुसार, लालू अभी भी जेल में हैं, और उन्हें खराब स्वास्थ्य के कारण जमानत दी गई है। डॉक्टरों ने उन्हें एक प्रमाण पत्र दिया है, जिसमें कहा गया है कि उन्हें जेल में नहीं रखा जाना चाहिए। वे बीमार हैं और उन्हें हर दिन इलाज की जरूरत है।

6 और 11 नवंबर को होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों से पहले, सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष की पार्टी दशकों के राजनीतिक झटकों के बाद सत्ता में वापसी के लिए जोरदार प्रचार कर रही है।

ये झटके जांच एजेंसी द्वारा लालू की गिरफ्तारी और 1990 के दशक के मध्य में हुए 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाला मामले में उनकी दोषसिद्धि से शुरू हुए थे।

विश्वास ने लालू के खुलेआम घूमने पर अपनी बेबसी जाहिर की, जिससे चारा घोटाला के आधा दर्जन से ज्यादा मामलों में उन्हें दोषसिद्धि और सजा दिलाने की सीबीआई टीम की कड़ी मेहनत पर पानी फिर गया।

उन्होंने कहा कि हमारा कानून ऐसा है कि अगर आप बीमार हैं और आपको बीमारी के लिए जमानत मिल जाती है, तो आप आजाद हैं। व्यावहारिक तौर पर, लालू आजाद हैं, लेकिन तकनीकी तौर पर वे अभी भी जेल में हैं और सजा काट रहे हैं।

हालांकि, बिस्वास इस बात से संतुष्ट हैं कि सीबीआई की जांच और लालू की दोषसिद्धि ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को 'जीवन भर चुनाव लड़ने के अयोग्य' बना दिया है।

बिस्वास को इस बात पर भी गर्व है कि चारा घोटाले के सिलसिले में सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए सभी 74-75 मामलों में दोषियों को सजा मिली। उन्होंने कहा कि यह एक विश्व रिकॉर्ड है।

चारा घोटाला 1990-91 और 1995-96 के दौरान सामने आया। इसके तहत, तत्कालीन बिहार पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बेईमान सप्लायर्स और अन्य लोगों के साथ मिलकर, उन सप्लायर्स को भुगतान करने के बहाने सैकड़ों करोड़ रुपए निकाले और गबन किए, जिन्होंने चारा और पशुओं के इलाज के फर्जी बिल जमा किए थे।

यह भी आरोप लगाया गया कि इस तरह निकाले गए सरकारी धन का अंततः गबन किया गया। जांच के दौरान, तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सहित नौकरशाहों, राजनेताओं और अन्य की भूमिकाएं सामने आईं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि न्याय प्रणाली में खामियों का होना चिंता का विषय है। चारा घोटाला जैसे मामलों में, दोषियों को उचित सजा मिलनी चाहिए, ताकि समाज में विश्वास बना रहे। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि कानून सभी पर समान रूप से लागू हो।
NationPress
26/10/2025

Frequently Asked Questions

चारा घोटाला क्या है?
चारा घोटाला एक बड़ा वित्तीय घोटाला है, जिसमें बिहार के पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बेईमान सप्लायर्स के साथ मिलकर सरकारी धन का गबन किया।
लालू प्रसाद यादव क्यों जेल में हैं?
लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें सजा सुनाई गई थी।
उपेंद्र नाथ बिस्वास का क्या कहना है?
उपेंद्र नाथ बिस्वास ने सिस्टम की खामियों पर प्रकाश डालते हुए लालू की खुली आवाजाही की आलोचना की है।