क्या दिल्ली के स्कूलों में छात्रों ने नशामुक्त जीवन जीने का संकल्प लिया?

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क्या दिल्ली के स्कूलों में छात्रों ने नशामुक्त जीवन जीने का संकल्प लिया?

सारांश

दिल्ली के संस्कृति स्कूल के 500 से अधिक छात्रों और शिक्षकों ने नशामुक्त जीवन जीने का संकल्प लिया है। यह पहल नशामुक्त माहौल बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और देशभर के अन्य स्कूलों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगी।

Key Takeaways

  • 500+ छात्रों ने नशामुक्त जीवन जीने का संकल्प लिया।
  • कार्यक्रम का आयोजन एनसीबी और सीबीएसई के सहयोग से हुआ।
  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता
  • समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देना।
  • स्वस्थ जीवन विकल्प चुनने का महत्व।

नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के संस्कृति स्कूल के 500 से अधिक छात्रों और शिक्षकों ने शुक्रवार को नशामुक्त जीवन जीने का संकल्प लिया।

एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि नशामुक्त स्कूली माहौल बनाने के उद्देश्य से आयोजित यह कार्यक्रम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), दिल्ली क्षेत्रीय इकाई और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के बीच सहयोग का हिस्सा था।

अधिकारी ने बताया कि एनसीबी-सीबीएसई समझौता ज्ञापन के तहत, देशभर के 100 से अधिक स्कूलों को इसी तरह के कार्यक्रम शुरू करने के लिए चिन्हित किया गया है।

यह अभियान छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए हब-एंड-स्पोक मॉडल अपना रहा है।

अधिकारी ने एक बयान में कहा कि यह पहल जागरूकता, शिक्षा और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से युवा दिमागों को सशक्त बनाकर नशामुक्त भारत के निर्माण की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एनसीबी के उप निदेशक, आईआरएस, डॉ. अनीस सी ने एजेंसी के बहुआयामी प्रयासों पर प्रकाश डाला, जिसमें प्रवर्तन और क्षमता निर्माण शामिल हैं। इस दौरान छात्रों और शिक्षकों से समाज की सुरक्षा के लिए सतर्क और सक्रिय रहने का आग्रह किया गया।

उन्होंने स्कूल समुदाय को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और तस्करी से संबंधित जानकारी प्रदान करने और सहायता प्राप्त करने के लिए एनसीबी हेल्पलाइन (टोल फ्री नंबर - 1933) को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

सीबीएसई की संयुक्त निदेशक नीति शंकर ने बोर्ड द्वारा कल्याणकारी पहलों की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिनमें सीबीएसई-एनसीबी समझौता ज्ञापन, काउंसलिंग हब-एंड-स्पोक मॉडल, पेरेंटिंग कैलेंडर, करियर गाइडलाइन डैशबोर्ड और सीबीएसई-एम्स मेट कार्यक्रम शामिल हैं, जो सभी मनोसामाजिक कल्याण और समग्र छात्र विकास को मजबूत करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

एनसीबी के अधिकारियों ने छात्रों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों, इसके सामाजिक और कानूनी निहितार्थों और सूचित एवं स्वस्थ जीवन विकल्प चुनने के महत्व के बारे में जागरूक किया।

Point of View

मैं यह मानता हूँ कि यह पहल न केवल छात्रों के लिए बल्कि समस्त समाज के लिए आवश्यक है। नशामुक्त जीवन का संकल्प लेना हमारे भविष्य की दिशा तय करता है। हमें इस दिशा में एकजुट होकर काम करना होगा।
NationPress
25/10/2025

Frequently Asked Questions

इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है?
इस कार्यक्रम का उद्देश्य नशामुक्त स्कूली माहौल बनाना और छात्रों में जागरूकता फैलाना है।
एनसीबी का इस कार्यक्रम में क्या योगदान है?
एनसीबी ने इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में जानकारी प्रदान की है।
क्या यह कार्यक्रम अन्य स्कूलों में भी लागू होगा?
हां, एनसीबी-सीबीएसई समझौता ज्ञापन के तहत देशभर के 100 से अधिक स्कूलों में इसी तरह के कार्यक्रम शुरू होंगे।