क्या हरियाणा के अग्निवीर शहीद समय सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- समय सिंह का पार्थिव शरीर नूंह के कुर्थला गांव पहुंचा।
- उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
- समय सिंह की शहादत ने गांव की गौरवशाली परंपरा को और मजबूत किया।
- अवशिष्ट सैनिकों के परिवारों के लिए मुआवजे में वृद्धि की मांग की गई।
- कुर्थला गांव का इतिहास शौर्य से भरा हुआ है।
नूंह, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। करवा चौथ के ठीक पहले, नूंह के कुर्थला गांव में शोक की लहर दौड़ गई। उत्तराखंड के हर्षिल आर्मी कैंप के निकट 5 अगस्त 2025 को बादल फटने और बाढ़ में लापता हुए 19 वर्षीय अग्निवीर समय सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक गांव कुर्थला पहुंचा। लगभग दो महीने बाद उनके शव का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
अंतिम संस्कार के समय हजारों लोग उपस्थित थे। कांग्रेस विधायक आफताब अहमद, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, जिला प्रशासन और सैन्य टुकड़ियों ने इस अवसर पर भाग लिया। शहीद के सम्मान में नारे गूंजने लगे, और हर आंख में आंसू थे।
समय सिंह अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र और दो बहनों के छोटे भाई थे। देश सेवा के जज्बे से प्रेरित होकर उन्होंने 30 अक्टूबर 2024 को अग्निवीर योजना के तहत सेना में भर्ती हुए। प्रशिक्षण के बाद 5 जून 2025 को गांव लौटे और 20 जून को हर्षिल कैंप में तैनात हुए। दुर्भाग्यवश, 5 अगस्त को हर्षिल में बादल फटने से आई बाढ़ में वे लापता हो गए।
उनके पिता दलबीर सिंह स्वयं सेना से रिटायर्ड हैं। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि 4 अगस्त की शाम को बेटे से आखिरी बार बातचीत हुई थी। 7 अगस्त को सेना ने लापता होने की सूचना दी, जिसने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया।
दलबीर सिंह ने भावुक होकर कहा कि बेटे को देश सेवा के लिए भेजा था, लेकिन भगवान को कुछ और मंजूर था। उन्होंने अग्निवीर योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि छह महीने की ट्रेनिंग के बाद जवानों को कठिन क्षेत्रों में तैनात करना उचित नहीं है। उन्होंने सरकार से इस योजना को समाप्त करने की अपील की, यह कहते हुए कि गरीब परिवारों के बच्चे ही मजबूरी में इस योजना में शामिल होते हैं।
अंतिम संस्कार में 14 राइफल राज यूनिट, राजपूताना राइफल्स, और एनएसजी कमांडो यूनिट के अधिकारी शामिल हुए। उजीना गांव के रिटायर्ड सैनिक करण सिंह ने बताया कि डीएनए जांच के बाद समय सिंह के शव की पहचान की गई। उन्होंने शहीद के परिजनों के लिए मुआवजे में वृद्धि की मांग की। विधायक आफताब अहमद ने समय सिंह की शहादत को मेवात की देशभक्ति का प्रतीक बताया और अधिकतम मुआवजे की मांग की।
ज्ञात हो कि कुर्थला गांव का इतिहास शौर्य से भरा हुआ है। 2015 में लेफ्टिनेंट किरण शेखावत शहीद हुई थीं। समय सिंह का अंतिम संस्कार शहीद किरण शेखावत पार्क में सैन्य सम्मान के साथ हुआ। उनकी शहादत ने गांव की गौरवशाली परंपरा को और मजबूत किया।