क्या एमआई6 के 116 साल के इतिहास में पहली बार महिला प्रमुख नियुक्त की गई हैं?

सारांश
Key Takeaways
- एमआई6 की 116 साल की यात्रा में पहली महिला प्रमुख की नियुक्ति।
- ब्लेज मेट्रेवेली तकनीकी और नवाचार में विशेषज्ञता रखती हैं।
- खुफिया सेवाओं का कार्य और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
- भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना आवश्यक है।
- साइबर सुरक्षा में वृद्धि की आवश्यकता।
नई दिल्ली, 16 जून (राष्ट्र प्रेस)। ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी (सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस) एमआई6 के 116 साल के इतिहास में पहली बार एक महिला इसके प्रमुख के रूप में नियुक्त की गई हैं। ब्लेज मेट्रेवेली इस वर्ष के अंत में सर रिचर्ड मूर का स्थान लेंगी और 18वीं प्रमुख बनेंगी। वह 1999 में इस संगठन में शामिल हुई थीं।
ब्लेज मेट्रेवेली वर्तमान में एमआई6 में प्रौद्योगिकी और नवाचार की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। यह ऐतिहासिक नियुक्ति एक ऐसे समय में हो रही है जब इन खुफिया सेवाओं का काम पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
इनका कार्य विदेशी धरती पर खुफिया जानकारी जुटाकर देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके मुख्य कार्यों में आतंकवाद को रोकना, शत्रु देशों की गतिविधियों को बाधित करना, और साइबर सुरक्षा को मजबूत करना शामिल है। इसका प्रमुख आमतौर पर "सी" के नाम से जाना जाता है।
"सी" विदेश सचिव को रिपोर्ट करता है और जॉइंट इंटेलिजेंस कमेटी का हिस्सा होता है, जिसमें अन्य विभागों के प्रमुख और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होते हैं। यह समिति खुफिया रिपोर्ट प्राप्त करती है, चल रही स्थितियों का विश्लेषण करती है और प्रधानमंत्री को सलाह देती है।
ब्लेज मेट्रेवेली ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से एंथ्रोपोलॉजी में शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने अपने करियर का अधिकांश समय मध्य पूर्व और यूरोप में काम करते हुए बिताया है। वह पहले एमआई5 (एमआई6 की सहयोगी घरेलू सुरक्षा एजेंसी) में निदेशक स्तर की भूमिकाएं निभा चुकी हैं। अपने उल्लेखनीय करियर के चलते उन्हें 2024 में सम्मानित भी किया जा चुका है।
हालांकि, मेट्रेवेली जिस संगठन का नेतृत्व करेंगी, वह अभूतपूर्व और जटिल चुनौतियों का सामना कर रहा है। भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से, रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियां प्रमुख हैं। ये चारों देश आपस में बढ़ते सहयोग के साथ यूनाइटेड किंगडम और पश्चिमी देशों के हितों को विश्व स्तर पर कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। इन भू-राजनीतिक खतरों के अलावा तकनीकी जासूसी, साइबर युद्ध, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़ी जटिलताएं भी बढ़ रही हैं, जिनसे एमआई6 को निपटना होगा।