क्या पश्चिम बंगाल में पक्ष-विपक्ष को धर्म की राजनीति छोड़कर विकास पर ध्यान देना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- धर्म की राजनीति को छोड़कर विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- बंगाल में शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है।
- स्वास्थ्य सेवाएं और फायर ब्रिगेड की स्थिति भी खराब है।
- विपक्ष को आंदोलन के अधिकार का सम्मान करना चाहिए।
- टोल सिस्टम को खत्म करने की मांग उठाई जा रही है।
कोलकाता, 18 जून (राष्ट्र प्रेस)। इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) विधायक नौशाद सिद्दीकी ने बुधवार को ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार पर कड़ा हमला किया। उन्होंने धर्म की राजनीति को छोड़कर विकास की चर्चा करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
पश्चिम बंगाल विधानसभा सत्र के संदर्भ में, आईएसएफ विधायक नौशाद सिद्दीकी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "सभी दल इस सत्र में केवल धर्म के नाम पर वोट पाने की कोशिश कर रहे हैं। चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सभी इस खेल में शामिल हैं। कुछ को हिंदू वोट चाहिए, जबकि कुछ मुस्लिम वोट पाने के लिए प्रयासरत हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "हिंदू-मुस्लिम की राजनीति को छोड़कर, हमें बंगाल के विकास के लिए सोचना चाहिए। यहां करीब आठ हजार प्राइमरी स्कूल बंद होने की कगार पर हैं। शिक्षकों की कमी है। स्वास्थ्य सेवाएं और फायर ब्रिगेड की स्थिति भी खराब है, लेकिन इस पर चर्चा नहीं हो रही है।"
बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भाजपा के सुवेंदु अधिकारी के कलकत्ता कोर्ट के निर्णय के बाद महेशतला जाने को लेकर सिद्दीकी ने कहा, "क्या हमें कोर्ट से अनुमति लेना ज़रूरी है? हम विपक्ष में हैं। अगर हम कोई विरोध रैली करते हैं, तो उसके लिए भी हमें कोर्ट जाना पड़ता है। अगर मैं कुछ गलत करता हूं तो आप कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन आंदोलन के अधिकार को न दबाएं।"
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा फास्टैग-आधारित वार्षिक पास की घोषणा पर आईएसएफ विधायक ने कहा, "हमें सरकार से टोल हटाने की मांग करनी चाहिए। जब हम गाड़ी खरीदते हैं, तो टैक्स देते हैं। हम हर साल टैक्स देते हैं, फिर भी टोल के लिए हमें फिर से टैक्स देना पड़ता है। इसीलिए, टोल सिस्टम को खत्म किया जाना चाहिए और इसे अनलिमिटेड किया जाना चाहिए।"