क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंगोला की यात्रा सफलतापूर्वक समाप्त की?
सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा ने भारत-अंगोला संबंधों को नई दिशा दी है।
- अंगोला का स्वतंत्रता दिवस समारोह एक महत्वपूर्ण अवसर था।
- व्यापार और निवेश के क्षेत्र में सहयोग के असीमित अवसर हैं।
- भारत का अफ्रीका के साथ सहयोग बढ़ाने का संकल्प।
- द्विपक्षीय व्यापार ने 5 अरब डॉलर का ऐतिहासिक स्तर पार किया।
नई दिल्ली, ११ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू छह दिवसीय अफ्रीकी देशों की यात्रा पर निकली हैं। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने अंगोला की चार दिवसीय यात्रा संपन्न की और मंगलवार को बोत्सवाना के लिए प्रस्थान किया। इस बात की पुष्टि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायवाल ने की।
राष्ट्रपति मुर्मू ने लुआंडा में अंगोला के स्वतंत्रता दिवस की 50वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर, उन्होंने अंगोला की नागरिक और सैन्य परंपराओं को देखा।
लुआंडा में आयोजित स्वागत समारोह में, राष्ट्रपति ने भारतीय समुदाय से संवाद किया। उन्होंने कहा कि भारत-अंगोला की साझेदारी समानता, आपसी विश्वास और प्रगति की साझा आकांक्षाओं पर आधारित है। उन्होंने व्यापार, निवेश और लोगों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के असीम अवसरों का उल्लेख किया और अंगोला में भारतीय समुदाय के सदस्यों से सक्रिय भागीदारी की अपील की।
राष्ट्रपति जोआओ मैनुअल गोंकाल्वेस लॉरेंको के निमंत्रण पर, राष्ट्रपति मुर्मू ने अंगोला की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लिया। समारोह में, राष्ट्रपति ने अंगोला की सैन्य और सांस्कृतिक परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन देखा।
उन्होंने कहा कि भारत अपने अफ्रीकी साझेदारों, विशेष रूप से अंगोला के साथ संबंधों को अत्यधिक महत्व देता है। यह साझेदारी समानता और पारस्परिक विश्वास के सिद्धांतों पर आधारित है। भारत ने अफ्रीका के साथ सहयोग को इंडिया अफ्रीका फोरम समिट के अंतर्गत विकसित किया है।
अंगोला, भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है। इसके साथ ही, भारत, अंगोला के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है। पिछले वर्ष द्विपक्षीय व्यापार ने 5 अरब डॉलर का ऐतिहासिक स्तर पार किया।