क्या सतपाल महाराज ने राहुल गांधी के 'फ्रॉड वोटर' बयान को बेबुनियाद बताया?

सारांश
Key Takeaways
- सतपाल महाराज ने राहुल गांधी के आरोपों को बेबुनियाद बताया।
- चुनाव प्रक्रिया में कांग्रेस के प्रतिनिधियों की मौजूदगी जरूरी है।
- उत्तराखंड में ग्लेशियर की घटना की जांच चल रही है।
- सरकार आपदा प्रबंधन के लिए प्रयासरत है।
- प्राकृतिक आपदाओं का पर्यटन पर असर पड़ता है।
ऋषिकेश, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के 'फ्रॉड वोटर' वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर कांग्रेस के प्रतिनिधि भी उपस्थित होते हैं। यदि कहीं फर्जी वोटिंग हो रही थी, तो कांग्रेस को उसी समय शिकायत करनी चाहिए थी।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में शनिवार को सतपाल महाराज ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान अधिकृत प्रतिनिधियों और प्रत्याशियों की मौजूदगी में मतदान होता है। गलत वोटर को वहीं रोका जा सकता है। राहुल गांधी का बयान प्रमाणहीन है। चुनाव आयोग ने इस मामले में दस्तावेज मांगे हैं और प्रक्रिया पूरी होने के बाद आयोग ही इसका उत्तर देगा। मैं पूछना चाहता हूं कि जब आपकी पार्टी ने यह सब देखा, तो चुप क्यों रहे?
उत्तराखंड के धराली में खीर गंगा के ऊपर हुए हादसे के संदर्भ में सतपाल महाराज ने कहा कि यह बादल फटने की घटना नहीं है, बल्कि ग्लेशियर में दरार आने से हुआ है। उन्होंने बताया कि यह एक बेहद दुखद घटना है, जिसमें एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव कार्य कर रही हैं और शवों की बरामदगी का कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा स्थल पर शिविर लगाकर स्थिति का जायजा लिया है। सरकार उपग्रहों और विशेषज्ञ अधिकारियों की सहायता से ग्लेशियर टूटने के कारणों की जांच करवा रही है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
इस दौरान सतपाल महाराज ने स्वीकार किया कि उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाएं सीधा पर्यटन पर असर डालती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आपदा प्रबंधन और पूर्वानुमान के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। डॉप्लर और रडार लगाए गए हैं, लेकिन प्रकृति की मार अप्रत्याशित होती है।
उन्होंने आगे कहा कि किसी ने नहीं सोचा था कि पूरा एक किलोमीटर लंबा ग्लेशियर टूट जाएगा और इतना अधिक मलवा एवं पानी नीचे आ जाएगा। सरकार के पास पर्याप्त संसाधन हैं और इन घटनाओं की वैज्ञानिक अध्ययन की जाएगी ताकि भविष्य में आपदा प्रबंधन और अधिक प्रभावी हो सके।