क्या कांग्रेस की मानसिकता परिवार के उत्थान के लिए काम करने और जाति-आधारित संघर्ष को बढ़ावा देने की है? : सुधांशु त्रिवेदी

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क्या कांग्रेस की मानसिकता परिवार के उत्थान के लिए काम करने और जाति-आधारित संघर्ष को बढ़ावा देने की है? : सुधांशु त्रिवेदी

Key Takeaways

  • जातिगत जनगणना का उद्देश्य सभी जातियों का उत्थान करना है।
  • कांग्रेस की मानसिकता में परिवार के उत्थान पर जोर है।
  • राजनीतिक लाभ के लिए जातियों के बीच संघर्ष को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।

नई दिल्ली, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पार्टी पर जाति-आधारित संघर्ष को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट ने जनगणना कराने का निर्णय लिया है। जारी की गई अधिसूचना में स्पष्ट कहा गया है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण और जातिगत जनगणना की जाएगी। हमारा उद्देश्य सभी जातियों की पहचान, सम्मान और अंतिम छोर पर खड़े जातियों का उत्थान करना है। लेकिन इंडी गठबंधन और कांग्रेस केवल अपने परिवार के उत्थान के बारे में सोचते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी की मानसिकता केवल अपने परिवार के उत्थान के लिए काम करना और इसके लिए जाति-आधारित संघर्ष को बढ़ावा देना है। हमारे दृष्टिकोण में बुनियादी अंतर है। हम सभी जातियों का सम्मान और उत्थान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जबकि कांग्रेस का लक्ष्य सिर्फ अपने परिवार को लाभ पहुंचाना है, भले ही इससे समुदायों के बीच संघर्ष क्यों न हो।

उन्होंने कहा कि तकनीकी पहलू पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इतने लंबे समय तक सत्ता में रहने के बाद कांग्रेस को तकनीकी पहलुओं को समझना चाहिए। जाति-आधारित जनगणना केंद्र के द्वारा अधिसूचित की जाती है, राज्य इसे आधिकारिक रूप से नहीं कर सकते। इसलिए जो नोटिफिकेशन कांग्रेस दिखा रही है, उसमें केवल सर्वे हो सकता है। कांग्रेस जहां भी सत्ता में आती है, उनका मॉडल देश के विकास के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, "मैं कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहता हूं कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के बारे में उनका क्या कहना है, जिन्हें उन्होंने कर्नाटक और तेलंगाना में शामिल करने की कोशिश की है?" उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को बड़ी संख्या में ओबीसी में शामिल किया है, जिससे स्पष्ट होता है कि आरक्षण के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करके वे पिछड़े वर्गों का हिस्सा छीनने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की तबाही कांग्रेस पार्टी को नजर नहीं आई। इससे पहले भी कई मौकों पर कांग्रेस के नेताओं को बहुत कुछ नजर नहीं आया, क्योंकि कांग्रेस पार्टी दृष्टिदोष की शिकार है।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार की तरफ से जातिगत जनगणना के संबंध में जारी अधिसूचना पर सवाल उठाया है। उन्होंने इस विषय पर अपने सोशल मीडिया 'एक्स' हैंडल पर पोस्ट भी किया है।

उन्होंने कहा कि जब तेलंगाना सरकार ने जातिगत जनगणना के संबंध में अधिसूचना जारी की थी, तब उसमें तीन बार 'जाति' शब्द का जिक्र किया गया था। लेकिन आज जब केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की है, तो उसमें एक बार भी जाति शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि सभी राजनीतिक दलों की प्राथमिकता समाज का उत्थान होनी चाहिए। जातिगत जनगणना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, लेकिन इसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं होना चाहिए। हर समुदाय को सम्मान और पहचान मिलनी चाहिए, ताकि समाज में समरसता बनी रहे।
NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

जातिगत जनगणना का महत्व क्या है?
जातिगत जनगणना से विभिन्न जातियों की पहचान और उनका सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता चलता है, जिससे विकास योजनाओं में मदद मिलती है।
कांग्रेस पार्टी पर आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं?
सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी केवल अपने परिवार के उत्थान के लिए जाति-आधारित संघर्ष को बढ़ावा दे रही है।
क्या जातिगत जनगणना केंद्र सरकार द्वारा ही की जा सकती है?
हां, जातिगत जनगणना केवल केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की जा सकती है, राज्य इसे आधिकारिक रूप से नहीं कर सकते।