क्या गीता दत्त की गायकी में छलकते थे जज्बात, क्या दीवानी थीं लता मंगेशकर?

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क्या गीता दत्त की गायकी में छलकते थे जज्बात, क्या दीवानी थीं लता मंगेशकर?

सारांश

गीता दत्त की अद्वितीय गायकी में उनके दिल के जज्बात स्पष्ट रूप से झलके। लता मंगेशकर ने उनकी आवाज की तारीफ की और उन्हें एक खास गायिका माना। जानिए, उनके जीवन और संगीत के सफर के बारे में जो आज भी हमें प्रभावित करता है।

Key Takeaways

  • गीता दत्त की गायकी में गहराई से जुड़े जज्बात थे।
  • लता मंगेशकर ने गीता की गायकी की प्रशंसा की थी।
  • गीता का संगीत सफर 16 साल की उम्र में शुरू हुआ।
  • उनकी आवाज में दर्द और प्यार का अद्भुत संयोग था।
  • गीता का निधन 41 वर्ष की आयु में हुआ, लेकिन उनकी आवाज अमर है।

मुंबई, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गायकी केवल सुर और ताल का खेल नहीं है, बल्कि यह दिल से जुड़े भावनाओं का एक रूप है। जब कोई गायक अपनी आवाज में दिल की सच्ची भावनाएं डालता है, तो उसका गीत सीधे हमारे दिल तक पहुंच जाता है। गीता दत्त ऐसी ही गायिका थीं, जिनकी आवाज में न केवल संगीत बल्कि उनके जज्बात भी नज़र आते थे। उनकी आवाज़ में एक विशेष प्रकार का दर्द, प्यार और खनक होती थी, जो सुनने वाले को गहराई से छू जाती थी। यही वजह थी कि उस समय की सबसे प्रमुख गायिका लता मंगेशकर भी उनकी गायकी की दीवानी थीं।

लता मंगेशकर ने कई बार कहा था कि गीता दत्त एक अद्वितीय गायिका हैं, जिनकी गायकी में एक विशेष प्रकार का प्रेम और जुड़ाव था। उन्होंने अपनी पुस्तक 'लता सुर गाथा' में भी गीता दत्त का उल्लेख किया और उन्हें एक नेकदिल लड़की कहा। अपनी किताब में, उन्होंने उस क्षण को साझा किया जब उन्हें गीता दत्त के निधन की सूचना मिली।

लता ने कहा, 'गीता दत्त को क्या हुआ कि मुझे पता ही नहीं चला कि उनकी मृत्यु हो गई है। यह अजीब था कि मुझे सलिल चौधरी जी का फोन आया और उन्होंने कहा, 'लता, तुम तुरंत आओ, गीता के साथ कुछ हुआ है।' मुझे एक झटका लगा और जब मैं गई, तो मुझे गीता के अंतिम दर्शन कराने ले गए। गीता से मेरी बहुत अच्छी बनती थी और वह बहुत नेकदिल थीं, इसलिए उनका अचानक यूं चले जाना मुझे अंदर से निराश कर गया।'

गीता दत्त और लता मंगेशकर की पहली मुलाकात फिल्म 'शहनाई' के एक गाने 'जवानी की रेल चली जाय रे' की रिकॉर्डिंग के दौरान हुई थी। इस गाने में सुरों की दो रानियों ने अपनी मधुर आवाज दी थी। लता ने अपनी किताब में गीता दत्त के बोलने के तरीके को साझा किया। उन्होंने बताया कि गीता का बोलने का तरीका पूरी तरह से बंगाली था, जैसे बंगाल के लोग हिंदी बोलते हैं। लेकिन जैसे ही गीता माइक के सामने आतीं, मानो कोई जादू हो जाता। उनका लहजा बदल जाता और उच्चारण स्पष्ट हो जाता।

उनके इस अनोखे अंदाज के कारण लता उनकी दीवानी थीं।

23 नवंबर 1930 को फरीदपुर (जो अब बांग्लादेश में है) में जन्मी गीता दत्त का संगीत के प्रति विशेष लगाव था। जब उनका परिवार कोलकाता से मुंबई आया, तब उनकी उम्र करीब 16 वर्ष थी। यहीं से उनके संगीत यात्रा की शुरुआत हुई। उनकी मधुर आवाज ने जल्द ही सबका ध्यान खींचा और 1946 में उन्होंने पहली बार फिल्म 'भक्त प्रह्लाद' के लिए गाना गाया। उन्होंने अपने करियर में 'जाने कहां मेरा जिगर गया जी', 'बाबू जी धीरे चलना', 'पिया ऐसो जिया में समाय गयो रे', 'वक्त ने किया क्या हसीं सितम', 'मुझे जान न कहो मेरी जान', और 'ये लो मैं हारी पिया' जैसे अनगिनत हिट गाने दिए, जो आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उन्होंने एस.डी. बर्मन, ओ.पी. नैय्यर, और हेमंत कुमार जैसे बड़े संगीतकारों के साथ काम किया।

गीता की जिंदगी का एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने मशहूर निर्देशक और अभिनेता गुरु दत्त से विवाह किया। शादी के बाद उन्होंने कुछ समय तक फिल्मों से दूरी बना ली, लेकिन व्यक्तिगत जीवन की परेशानियों ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया। गुरु दत्त के असमय निधन और पारिवारिक तनाव ने गीता को गहरा झटका दिया। धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और 20 जुलाई 1972 को महज 41 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। निश्चित रूप से गीता दत्त अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी भावनाओं में डूबी आवाज हमेशा अमर रहेगी।

Point of View

मैं मानता हूँ कि गीता दत्त की अद्वितीय आवाज और उनकी गहरी भावनाएँ हमें यह सिखाती हैं कि संगीत केवल सुरों का खेल नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों से जुड़ी एक कला है। उनकी गायकी आज भी हमें प्रेरित करती है।
NationPress
19/07/2025

Frequently Asked Questions

गीता दत्त का जन्म कब हुआ था?
गीता दत्त का जन्म 23 नवंबर 1930 को फरीदपुर, बांग्लादेश में हुआ था।
गीता दत्त ने अपने करियर की शुरुआत कब की?
गीता दत्त ने 1946 में फिल्म 'भक्त प्रह्लाद' से अपने करियर की शुरुआत की थी।
लता मंगेशकर ने गीता दत्त के बारे में क्या कहा?
लता मंगेशकर ने गीता दत्त को एक खास गायिका बताया और उनकी गायकी में प्यार और जुड़ाव का जिक्र किया।
गीता दत्त का निधन कब हुआ?
गीता दत्त का निधन 20 जुलाई 1972 को हुआ।
गीता दत्त के कुछ हिट गाने कौन से हैं?
गीता दत्त के कुछ हिट गाने हैं: 'जाने कहां मेरा जिगर गया जी', 'बाबू जी धीरे चलना', और 'वक्त ने किया क्या हसीं सितम'।